गाजियाबाद: केंद्रीय मंत्री वी के. सिंह ने फरीदाबाद में दलितों को जलाए जाने की घटना के सिलसिले में सरकार को बचाने की कोशिश करते हुए उस वक्त एक बड़ा विवाद छेड़ दिया, जब उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति कुत्ते को पत्थर मारता है तो सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

इस टिप्पणी के बाद विपक्ष ने सिंह को हटाने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अनुसूचित जाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की और इसे गुजरात दंगों के सिलसिले में ‘पिल्ले’ के कार के पहिये के नीचे आने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी के समान बताया।

सिंह ने उत्तरप्रदेश स्थित अपने संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद में कहा, ‘देखिए, बात यह है कि स्थानीय घटनाओं को केंद्र सरकार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। जांच चल रही है। दो परिवारों के बीच झगड़ा था। यह झगड़ा..कैसे इसने यह रूप लिया..प्रशासन कहां विफल रहा, इसके बाद केंद्र पर बात आती है।’ हरियाणा के फरीदाबाद में 19-20 अक्तूबर की दरम्यानी रात में एक दलित परिवार के दो बच्चों को जिंदा जला दिए जाने की घटना का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘हर चीज के लिए..जैसे कि यदि कोई एक कुत्ते पर पत्थर फेंकता है तो सरकार जिम्मेदार है..ऐसा नहीं है।’ इस घटना में दो छोटे बच्चे जलकर मर गए थे। इसे कथित तौर पर राजपूत समुदाय के लोगों ने अंजाम दिया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सिंह द्वारा कुत्ता शब्द के इस्तेमाल को ‘बेहूदा और घृणित’ बताया है।

उन्होंने कहा, ‘जिंदा जला दिए गए दो बच्चों की मौत की तुलना एक कुत्ते को पत्थर मारे जाने से करना, इससे ज्यादा बेहूदा और घृणित क्या हो सकता है। यह सरकार की सोच को दर्शाता है।’ उन्होंने कहा, ‘याद करें तो दो साल पहले भारत के प्रधानमंत्री ने भी रॉयटर्स को दिए गए एक साक्षात्कार में ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया था। तब उन्होंने कहा था कि यदि कोई पिल्ला भी कार के पहिए के नीचे आ जाता है तो उसके लिए भी संवेदनशील होने की जरूरत है। यह टिप्पणी गुजरात में हुई सामूहिक हत्याओं के संदर्भ में थी।’