नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले स्कूलों के प्राचार्यों से कहा है कि वे शिक्षकों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के साथ जनगणना के काम पर न लगाए क्योंकि इससे स्कूलों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, इस संदर्भ में शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को एक परिपत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि अगले आदेशों तक जनगणना के काम में शिक्षकों की तैनाती को रोककर रखा जाए। परिपत्र के अनुसार, कई शिक्षक संबंधित शिक्षा उपनिदेशकों से जरूरी मंजूरी लिए बिना ही एनपीआर के दफ्तरों में जाना शुरू कर चुके हैं।

इसमें कहा गया, विभाग पहले ही शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहा है और उनकी तैनाती किए जाने से स्कूलों के कामकाज मुश्किल में पड़ गया है। इसमें कहा गया है, इसलिए यह आदेश दिया जाता है कि अगले आदेशों तक किसी भी अधिकारी या शिक्षक को एनपीआर की ड्यूटी पर नहीं लगाया जाए। शिक्षण से इतर विभिन्न कामों में शिक्षकों को लगाए जाने की पहले भी काफी आलोचना होती रही है।

लोकसभा और दिल्ली चुनावों के लिए इन्हें बूथ स्तर के अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसके कारण कई-कई दिनों तक शिक्षक कक्षाएं नहीं ले पाए थे। कुछ शिक्षाविदों ने तो अप्रैल 2015 में नौंवीं और 11वीं कक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों के फेल हो जाने को इसी से जोड़कर देखा। राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सरकार द्वारा कुल 946 स्कूल संचालित हैं।

एनपीआर देश के निवासियों का रजिस्टर है। इसे स्थानीय गांव (कस्बा), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्र स्तर पर नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्रों का मुद्दा) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत तैयार किया जा रहा है।