जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दमोह में गरीब की आंखें फोड़कर जलाकर मार देने वाले रसूखदारों के आतंक पर अंकुश सुनिश्चित न किए जाने के मामले में जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में राज्य शासन, गृहसचिव, डीजीपी, एसपी दमोह व टीआई देहात को नोटिस जारी किए गए हैं।

न्यायमूर्ति आलोक आराधे की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता नरसिंहगढ़ दमोह निवासी करणसिंह राजपूत का पक्ष अधिवक्ता शंभुदयाल गुप्ता ने रखा।

ठेकेदारों ने ढाए जुल्म, आंखें फोड़ीं जला दिया

उन्होंने दलील दी कि राहुल राय व चौकसे सहित अन्य ठेकेदारों ने उनके परिवार का जीना हराम कर दिया है। याचिकाकर्ता का पुत्र सुग्रीम सिंह 28 साल का था, जिसे ठेकेदार और डम्पर मालिकों ने ड्रायवर का काम लिया। 8 दिसम्बर 2014 को जब उसने अपनी तनख्वाह मांगी तो रंगदारी शुरू कर दी गई। यही नहीं विरोध करने पर सबक सिखाने की मंशा से पहले तो आंखें फोड़ डालीं फिर पैट्रोल डालकर आग लगा दी। इस वजह से सुग्रीम 85 प्रतिशत जल गया। उसे सड़क पर तड़पता छोड़कर सब भाग गए। इसके बाद सुग्रीम को दमोह अस्पताल ले जाया गया, जहां से जबलपुर रेफर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी जान न बचाई जा सकी। 10 दिसम्बर को उसने दम तोड़ दिया।

राजनीतिक वजह से गिरफ्तारी नहीं- बहस के दौरान कहा गया कि राहुल राय सहित अन्य आरोपी राजनीतिक पकड़ रखते हैं। इसी वजह से पुलिस उनकी गिरफ्तारी की दिशा में गंभीर नहीं है। इसका फायदा उठाकर आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और मृतक के परिजनों को मुंह बंद न रखने की सूरत में अंजाम भुगतने की धमकी देते हैं।