नई दिल्‍ली : जीवनशैली और खानपान की आदतों में बदलाव की वजह से शहरी भारत में 60 फीसदी से अधिक महिलाओं को दिल की बीमारियों का खतरा होता है। यह खुलासा हाल में एक अध्ययन में किया गया है। भारत के दस बड़े शहरों में कराए गए अध्ययन में 30 से 45 साल की आयुवर्ग की करीब 1300 शहरी भारतीय महिलाओं में दिल की बीमारियों के जोखिम की वजहों का विश्लेषण किया गया। विश्व हृदय दिवस से एक दिन पहले जारी अध्ययन के निष्कर्ष कहते हैं कि ऐसी 61 फीसदी महिलाओं को हृदय संबंधी रोगों का जोखिम होता है। गौर हो कि 29 सितंबर (मंगलवार) को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जा रहा है। जीवन शैली में बदलाव और तनाव मुक्त जीवन शैली अपना कर आप हृदय रोग से अपना बचाव कर सकते हैं। जिस वक्त भी मौका मिले सप्ताह में कम से कम 5 दिन पैदल चलना हृदय के लिए फायदेमंद है।

आनुवंशिक कारणों, अस्वस्थ रहन-सहन और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा और धूम्रपान की अधिकता के चलते हृदय धमनी रोग में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। इन रोगों से बचाव के लिए जीवनशैली में जरूरी बदलाव लाकर बचा जा सकता है।

एक सर्वेक्षण के अनुसार जो महिलाएं इस जोखिम के दायरे में देखी गईं उनमें से 74 प्रतिशत महिलाओं के पेट और कमर का आकार सामान्य से अधिक है। एक हृदयरोग विशेषज्ञ के अनुसार, महिलाओं में खानपान की आदतों और अस्वास्थ्यकर चीजें खाने-पीने की वजह से खतरे धीरे धीरे बढ़ रहे हैं। इन आदतों में खाने की चीजें अधिक मात्रा में खाना, देर रात भोजन करना आदि शामिल हैं। इस तरह के जोखिम में मानी जाने वाली 89 प्रतिशत महिलाएं अधिक वजन या मोटापे की श्रेणी में आती हैं।
हृदय रोग के जोखिम को कम करता है योग

दिल का दौरा पडऩे से पहले चेतावनी के रूप में जो संकेत हैं वे हैं-सीने, कंधे या बाजू में भारीपन या दर्द। इसके अलावा दूसरे लक्षणों में हैं नियमित कामकाज के दौरान सांस फूलना, अचानक जी मिचलाना, कमजोरी या पसीना आना आदि। डायबिटीज के रोगियों को कई बार दिल का दौरा चुपचाप पड़ जाता है जो और भी खतरनाक है क्योंकि उसका संदेह नहीं होता और समय पर इलाज भी नहीं किया जा सकता। हृदय रोग का शक होने पर कई तरह की जांच जरूरी हो सकती है। सीने या छाती का एक्स-रे, ईसीजी और खून के कुछ टेस्ट करवाना बेहद जरूरी हो जाता है। विशेषकर बेहद जोखिम वाले व्यक्तियों में निदान की पुष्टि के लिए कोरोनरी एंजियोग्राफी कराना जरूरी है ताकि यह पता लग सके कि दवा से उपचार संभव है या एंजियोप्लास्टी या बाइपास सर्जरी करना जरूरी है। कई बार मरीज एंजियोप्लास्टी या सर्जरी के बाद यह मानकर लापरवाह हो जाते हैं कि रोग से मुक्ति मिल गई। इस इलाज का सीधा-सा मकसद है कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में किसी तरह की कोई बाधा न आए।  जरूरी एहतियात बरतना और सक्रिय जिंदगी जीना, इनके बीच एक समझदारी भरा संतुलन जरूरी है। कार्डियोलोजिस्ट की नियमित सलाह भी लेते रहना चाहिए। हृदय धमनी रोग का शुरू में ही पता लगाने का एक नया और बेहद अच्छा साधन है कोरोनरी सीटी एंजियोग्राफी।

चिकित्सकों ने बताया कि भारत में भारत में 450 लाख हृदय रोगी हैं। जिनके रोग का एक प्रमुख कारण डायबिटीज या उच्च रक्तचाप है। हृदय रोगियों की मृत्यु दर भी भारत में अधिक है। चिकित्सकों के अनुसार, प्रदूषित वातावरण एवं रहन-सहन के कारण अधिकांश लोग हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं। मधुमेह रोग के बाद हृदय रोग की संभावना काफी बढ़ जाती है। समय रहते अपने रहन-सहन, खान-पान व अन्य आदतों में सुधार लाकर इन गंभीर रोगों से बचा जा सकता है।