लंदन : वालपेपर, सैंडल, नेल पॉलिश, परफ्यूम और कालीनों में पाए जाने वाले रसायन पुरुषों के शुक्राणुओं की गतिशीलता कम कर सकते हैं जिससे संतानोत्पत्ति में बाधा आ सकती है।

एक नए अध्ययन के मुताबिक थलेट्स रसायन यानी वालपेपर, सैंडल, नेल पॉलिश, परफ्यूम और कालीनों आदि में पाए जाने वाले रसायन वास्तव में थलिक अम्ल वाले तत्वों का एक समूह है और आशंका जताई जाती है कि इनमें से कुछ तत्व अंत:स्रावी ग्रंथियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक की नर्म वस्तुओं जैसे वालपेपर, सैंडल, नेल पॉलिश, परफ्यूम, कालीन इत्यादि में कई थलेट्स पाए जाते हैं। थलेट्स के अणु प्लास्टिक से रिसाव के जरिये बाहर निकलते रहते हैं और हम इन्हें खाने-पीने की चीजों, त्वचा के संपर्क और सांस आदि के माध्यम से अपने अंदर लेते रहते हैं। शरीर में इसके स्तर का पता आम मूत्र जांच से लगाया जा सकता है।

लुंड युनिवर्सिटी के प्रयोगशाला मेडिसन विभाग में शोधाकर्ता जोनैटन एक्सेल्सन ने बताया, ‘हमने इन रसायनों की मात्रा की जांच के लिए मूत्र में थलेट्स डीईएचपी (डाई-इथाईल हेक्साइल थलेट्स) के चयापचय स्तर (मेटाबोलाइट लेवल) का अध्ययन किया। साथ ही साथ 18-20 वर्ष की उम्र के लगभग 300 युवाओं में शुक्राणुओं की गुणवत्ता का भी अध्ययन किया गया। परिणाम में हमने पाया कि पुरुषों में जितना ज्यादा चयापचय स्तर था, उनके शुक्राणुओं की गतिशीलता उतनी ही कम थी।’