काठमांडो। नेपाल की संविधान सभा ने सात साल की लंबी कवायद और वार्ता के बाद जबर्दस्त बहुमत के साथ नए संविधान को मंजूरी दे दी। देश को सात संघीय प्रांतों में बांटा जाएगा। संविधान सभा अध्यक्ष सुभाष नेमवांग ने 601 सीटों वाली सभा में 507-25 के अंतर से संविधान को पारित करने की घोषणा की। घोषणा के बाद सांसदों ने जश्न मनाते हुए हाथ उठाया। अब सांसदों के दस्तखत और संविधानसभा के अध्यक्ष की पुष्टि के बाद विधेयक नेपाल का नया संविधान होगा।

मूल अल्पसंख्यक समूहों के विरोध के बावजूद सभा ने संविधान को पारित कर दिया। इसके बाद नेपाल सात संघीय प्रांतों में बांटा जाएगा। जातीय मूल के कुछ समूहों ने सीमाओं और प्रांतों के आकार पर विरोध जताया। अनुच्छेद और अनुसूची के अनुमोदन के बाद जब मतविभाजन हुआ तो पूरे संशोधित विधेयक को संसद में मौजूद 532 सांसदों में से 507 सांसदों का समर्थन मिला।
नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल और यूएसपीएन माओवादी के सांसदों ने मसौदा संविधान का समर्थन किया। छोटी पार्टियों ने वोटिंग का बहिष्कार किया। हिंदू समर्थक और राजा समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल से जुड़े 25 सांसदों ने विधेयक के विरोध में मतदान किया। मधेश स्थित अधिकतर पार्टियों ने वोटिंग प्रक्रिया का बहिष्कार किया। उनकी संख्या 60 थी। वोटिंग की घोषणा के बाद नेमबांग ने सांसदों से शुक्रवार को दस्तावेज पर दस्तखत करने को कहा है।