नई दिल्ली  : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज हिन्दी को देश की प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक कड़ी बताया और उम्मीद जताई कि इसे जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिलेगी । राष्ट्रपति यहां हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि हिन्दी ने आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किए हैं और हिंदी को भारतीय चिंतन और संस्कृति का वाहक माना गया है।
 
 
इस समारोह में राष्ट्रपति ने हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय योगदान करने वाले सरकारी संगठनों एवं व्यक्तियों को राजभाषा पुरस्कार प्रदान किए । उन्होंने कहा, ‘यह भाषा हमारे पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता तथा आधुनिक प्रगति के बीच एक कड़ी भी है । हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हिंदी का प्रयोग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में बढ़े ताकि ग्रामीण जनता सहित सभी की सहभागिता देश की प्रगति में सुनिश्चित की जा सके।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि कार्यालयों में सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है । उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक आर्थिक परिवेश पर हिंदी की अपनी एक छाप है। दुनिया भर में बसे हुए लाखों प्रवासी भारतीय हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। इससे हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है । उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि हमारे संयुक्त प्रयास से हिन्दी को जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिलेगी ।’