दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में 43 फीसदी से अधिक छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

इस चुनाव में सीबीसीएस को वापस लिये जाने, सुरक्षा, विविद्यालयों के छात्रों के परिवहन और आवास से जुड़ी समस्याएं हावी रहीं.

इसी बीच 42 महाविद्यालयों में छात्र परिषद का चुनाव भी हुआ जिसमें कांग्रेस द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने 18 में से पांच पैनलों में जीत दर्ज की वहीं भाजपा से संबंधित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शेष 13 कॉलेजों के पैनल में विजय हासिल की.

दोनों पार्टियों ने शेष कॉलेजों की विभिन्न सीटों पर जीत दर्ज की.

डूसू चुनाव के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी डी एस रावत ने कहा कि मतदान शांतिपूर्ण रहा और सुबह के सत्र में करीब 44 फीसदी छात्रों ने मतदान किया.

उन्होंने कहा ‘‘सुबह में 8.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक चुनाव सुचार ढंग से संपन्न हुआ. सबसे अधिक आयुर्वेदिक और यूनानी तिब्बिया कॉलेज में करीब 91 फीसदी मतदान हुआ. शहीद भगत सिंह ईवनिंग कॉलेज और बुद्ध अध्ययन विभाग में 21 फीसदी मत पड़े.’’

श्रीराम कालेज आफ कामर्स में किसी परिसर कालेज के लिहाज से सबसे अधिक 70 फीसदी मतदान हुआ जबकि खालसा कालेज में सबसे कम 27 प्रतिशत मतदान हुआ.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) में किसी तरह की तकनीकी दिक्कत की कोई शिकायत नहीं मिली. रावत ने कहा कि शाम के चरण में अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ. उन्होंने साथ ही कहा कि मतों की गिनती शनिवार को की जायेगी जिसके बाद परिणाम घोषित किये जायेंगे.

पुलिस उपायुक्त (उत्तर दिल्ली) मधुर वर्मा के अनुसार मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ और किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं है.

इसी बीच आप विधायक संजीव झा और दो अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं को कथित चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के लिए थोड़ी देर के लिए हिरासत में लिया गया. उन्हें आधा घंटा के भीतर छोड़ दिया गया.

डूसू चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के पद के चुनाव के लिए 1,35,298 मतदाता हैं.