जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में 8 साल के बच्चे के सिर के बीच में आधे सेमी. छेद में दूरबीन डालकर दिमाग का पानी निकाला गया। चिकित्सकों ने लगभग 45 मिनट में बच्चे का सफल ऑपरेशन किया। दरअसल, इस बच्चे का इंदौर में तीन साल पहले ऑपरेशन हुथा।

उसमें दिमाग में शंट डालकर पानी निकालने का रास्ता बनाया गया था लेकिन शंट के ब्लाक होने से उसके दिमाग में फिर से पानी भरने से उसका दोबारा ऑपरेशन किया गया।

ये है बीमारी

खंडवा निवासी वंश राठौर (8 वर्ष) के दिमाग में जन्म से ही पानी भरा हुआ था। इसे हाईड्रोसिफेलस बीमारी कहते हैं। वंश राठौर के दिमाग में पानी भरने से उसकी उम्र बढ़ने के साथ ही सिर बढ़ता गया और सिर दर्द करने लगा। सामान्य तौर पर सिर का व्यास 40 से 45 सेंटीमीटर होता है उसके सिर का व्यास लगभग 85 से 90 सेंटीमीटर हो गया। परिजन ने इंदौर मेडिकल अस्पताल में उसका ऑपरेशन कराया, लेकिन दोबारा उसके दिमाग में पानी भरने से उसे मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर किया गया।

दूरबीन से ऑपरेशन

मेडिकल के न्यूरो सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. वायआर यादव और न्यूरो सर्जन डॉ. विजय परिहार ने वंश का दोबारा सीटी स्केन कराया तो पाया कि उसके दिमाग से पानी निकालने के लिए शंट डालकर जो रास्ता बनाया गया था वह ब्लाक हो गया है। उन्होंने वंश के सिर के बीच में लगभग आधे सेमी. का छेद करके वहां से 4 एमएम डायमीटर की दूरबीन डाली।

दूरबीन में लगे हुए बायोपोलर कॉर्ड उपकरण को दिमाग के पानी भरने वाले स्थान (थर्ड वेंट्रीकुलर) पर पहुंचाकर उसमें छेद किया। थर्ड वेंट्रीकुलर में छेद करने से पानी निकलने का नया रास्ता बनने से पानी निकल गया। यह पानी छनकर जितना आवश्यक है वह दिमाग में जाता है और शेष खून में मिल जाता है।