मध्यप्रदेश ने समावेशी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए ग्रामीण अँचलों की तरक्की की नई इबारत लिख दी है। आज मध्यप्रदेश के सुदूर ग्रामीण अँचल विकास के नये रंगों से सँवर रहे हैं। समावेशी विकास का लाभ खासतौर से प्रदेश के गाँवों में रहने वाले ऐसे पिछड़े, गरीब और कमजोर तबकों तक व्यापकता से पहुँचाने में कामयाबी मिली है, जो आजादी से अब तक विकास की बाट जोह रहे थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गाँवों की तस्वीर बदलने के मकसद से जो अनूठी कल्याणकारी योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किये उन्हीं का सुफल है कि ग्रामीण अँचलों में तरक्की और खुशहाली का सुखद बदलाव साफ नजर आ रहा है।
सम्पर्कविहीन गाँवों की तरक्की के लिये राज्य में बारहमासी पक्की सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। सुदूर गाँवों तक पहुँच मार्गों के निर्माण से अब वे विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। गाँवों में स्वच्छता और पर्यावरण सुधार के लिये आंतरिक मार्ग और नालियों का निर्माण प्राथमिकता से हो रहा है। पंचायत भवनों की मरम्मत, नये पंचायत भवनों का निर्माण, आँगनवाड़ी भवन और पंचायत भवनों में अतिरिक्त कमरों के निर्माण से गाँव नये स्वरूप में नजर आ रहे हैं। गरीब तबकों के आर्थिक उत्थान के मकसद से उन्हें आजीविका के नये साधन सुलभ करवाये जा रहे हैं।
ग्रामीण तबकों के आर्थिक उत्थान के मकसद से उन्हें आजीविका के नये साधन सुलभ करवाये जा रहे हैं। ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के रोजगार का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। मनरेगा में जरूरतमंद लोगों को रोजगारमूलक कार्यों के लिये विकास कार्य संचालित किये जा रहे हैं। बेघर ग्रामीणों को विभिन्न योजनाओं के जरिये पक्के मकान देने का इंतजाम सफलता से किया गया है। इंदिरा आवास योजना के लाभ से वंचित गरीब बेघर ग्रामवासियों को मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के माध्यम से आवास मुहैया करवाये जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच की बुराई को दूर करने तथा स्वच्छता के लिये निर्मल भारत अभियान (मर्यादा अभियान) के माध्यम से लाखों घरेलू शौचालय बनाये जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा को बढ़ावा देने और बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिये मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम पर भी बेहतर अमल हो रहा है।
मध्यप्रदेश भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्यों में एक है। प्रदेश के सुदूर सम्पर्कविहीन इलाकों की तरक्की बेहद चुनौतीपूर्ण काम था। ऐसी कठिन चुनौतियों से सफलता से निपटने के लिये यह जरूरी था कि सुदूर अँचलों तक सबसे पहले सम्पर्क सुविधाओं का इंतजाम प्राथमिकता से सुनिश्चित हो। इस मकसद से सुदूर अँचलों तक त्रि-स्तरीय सम्पर्क सुविधाएँ उपलब्ध करवाने की शुरूआत की गई। इसमें सड़क सम्पर्क सुविधा, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी तथा वित्तीय संस्थानों और साधनों का इंतजाम शामिल है। इस पहल से प्रदेश की सभी 23006 ग्राम पंचायत और 53 हजार से अधिक ग्राम तक विकास का नया सफर तेजी से शुरू हो चुका है। गाँवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये उन्हें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिये बारहमासी सड़कों से जोड़ा जा रहा है। गाँव में स्वच्छता तथा सुनियोजित विकास के लिये पक्के आंतरिक मार्गों का निर्माण किया जा रहा है। अब ग्रामीण अँचलों में वर्षभर किसी भी मौसम में आवागमन आसान हो चुका है। इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अब ग्रामीण इलाकों में पंचायतों को अब ई-पंचायत के रूप में देश-प्रदेश और दुनिया से जोड़ने की नई पहल शुरू हो चुकी है।
ग्रामीण अँचलों के विकास के लिये बैंकिंग सुविधाओं की उपलब्धता पर खास ध्यान दिया जा रहा है। सड़क और संचार सुविधाओं के इंतजाम के साथ-साथ सुदूर गाँव तक बैंकिंग सुविधाओं की सुलभता भी सुनिश्चित हुई है। यह सफलता मध्यप्रदेश के वित्तीय समावेशन मॉडल से हासिल हुई है। वित्तीय समावेशन के जरिये ही ग्रामीणजन की आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी। इस उद्देश्य से प्रदेश के ग्रामीण अँचलों में हर पाँच किलोमीटर के दायरे में अल्ट्रा स्मॉल बैंक खोली जा रही हैं। राज्य के 14 हजार से अधिक गाँव जहाँ आज भी 20 से 90 किलोमीटर तक बैंकिंग सुविधा उपलब्ध नहीं हैं, के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। ऐसे हर गाँव के पंचायत भवन में अल्ट्रा स्मॉल बैंक खोली जा रही हैं और इन बैंकों को इंटरनेट सुविधा से जोड़ा जा रहा है। नये बनने वाले पंचायत भवनों में ई-पंचायत कक्ष का निर्माण हो रहा है। ई-पंचायत कक्ष में अल्ट्रा स्मॉल बैंक, पोस्ट ऑफिस तथा नागरिक सुविधा केन्द्र की सुविधा ग्रामीणों को मिलेगी।
समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के जरिये ग्रामीण अँचलों में रह रहे बीपीएल परिवार, वृद्धजन, निराश्रित तथा विधवाओं और नि:शक्तजन को भारत सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाली सहायता तथा पेंशन राशि अब सीधे हितग्राहियों के बैंक खाते में जमा हो रही है। इसी तरह ग्रामीणजन को विभिन्न शासकीय अनुदान और सहायता योजनाओं, विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियाँ और स्वास्थ्य सहायता योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ अल्ट्रा स्मॉल बैंक के माध्यम से आसानी से मिलने लगा है। उन्हें अपनी बचत राशि को बैंक में जमा करवाने की सुविधा भी अब अपने गाँव के आसपास मिल गई है। पिछले एक साल में ग्रामीण इलाकों में शुरू हुए अल्ट्रा स्मॉल बैंक के जरिये 600 करोड़ से अधिक की बचत राशि ग्रामीणों के बैंक खातों में जमा हो चुकी है। प्रदेश में 3000 से अधिक अल्ट्रा स्मॉल बैंक स्थापित हो रहे हैं। अब तक 1761 अल्ट्रा स्माल बैंक खुल रहे हैं। इन बैंक के जरिये शासकीय योजनाओं के तहत हितग्राहियों को दी जाने वाली सहायता योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ सीधे उनके बैंक खातों तक पहुँच रहा है। प्रदेश के 15 जिलों में समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन में हितग्राहियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अल्ट्रा स्मॉल बैंक में खोले गये उनके बैंक खातों में सीधे जमा हो रही है। मध्यप्रदेश के वित्तीय समावेशन मॉडल को अब देश के अन्य राज्य भी व्यापकता से लागू कर रहे हैं।
ग्रामीण अँचलों के समग्र विकास के लिये सम्पर्क सुविधाओं की उपलब्धता को प्राथमिकता दी जा रही है। सड़क सम्पर्क, बैंकिंग सुविधा के साथ ही ई-कनेक्टिविटी का काम तेजी से हो रहा है। राज्य की सभी 23006 ग्राम पंचायतों में ई-पंचायतों की शुरूआत का काम किया जा रहा है। इस उद्देश्य से हर ग्राम पंचायत को कम्प्यूटर, प्रिंटर, मॉनीटर तथा एलसीडी टीवी की खरीदी के लिये एक-एक लाख रुपये के मान से 230 करोड़ रुपये प्रदान किये गये हैं। जिन गाँवों में ब्राड-बैण्ड सुविधा है वहाँ सबसे पहले ई-पंचायतें आरंभ हो रही हैं। ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायक के रूप में एक-एक कम्प्यूटर शिक्षित युवा नियुक्त किया गया है, जो पंचायत के काम-काज के साथ-साथ कम्प्यूटर भी संचालित करेंगे। इन रोजगार सहायकों को अब ग्राम पंचायत के सहायक सचिव का दर्जा भी प्रदान किया गया है। इस व्यवस्था से पंचायत सचिवों की गैर मौजूदगी में ग्राम पंचायतों का काम निर्बाध रूप से जारी रहेगा।
पंचायतों और ग्राम-सभाओं के सशक्तिकरण और जवाबदेही के लिये प्रदेश की त्रि-स्तरीय पंचायतों को भारत सरकार से हर वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हो रहे हैं। ग्राम पंचायतों को और सशक्त बनाने तथा मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिये प्रदेश में व्यापक वित्तीय प्रावधान किये गये हैं। त्रि-स्तरीय पंचायत पदाधिकारियों के मानदेय में 5 गुना बढ़ोत्तरी की गई है। ग्राम-पंचायतों की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों में भी वृद्धि हुई है। अब ग्राम-पंचायतों को विभिन्न ग्रामीण विकास, निर्माण कार्यों के लिये 10 लाख तथा केन्द्र प्रायोजित योजना में 15 लाख रुपये तक के निर्माण कार्य का अधिकार मिल गया है। इस व्यवस्था से अब ग्रामीण निर्माण कार्य तेजी से पूरे हो रहे हैं।