नई दिल्लीः ट्रेड यूनियन नेताओं और सरकार के बीच रविवार को हुई बैठक में ठेका मजदूरी और न्यूनतम वेतन जैसे कठिन मुद्दों को लेकर मतभेद बरकरार रहा। 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) की पूर्व संध्या पर श्रम मुद्दों पर चर्चा के लिए शनिवार को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में इन मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई।

हालांकि, ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने, बोनस कानून में संशोधन और कर्मचारियों को लाभ देने समेत कुछ अन्य मुद्दों पर सहमति बनती दिखी। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और श्रम मुद्दों पर अंतर-मंत्रालयी समिति और अन्य के बीच बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बिजली मंत्री पीयूष गोयल व प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हुए।

बैठक में नहीं बन पाई सहमति
बैठक के बाद दत्तात्रेय ने कहा, ‘ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने, बोनस कानून और कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सहमति है. ठेका कर्मचारी और न्यूनतम वेतन से जुड़े मुद्दों पर मतभेद है. इन मुद्दों पर बातचीत जारी है.’ हालांकि ट्रेड यूनियन के नेताओं ने जोर देकर कहा कि कोई आम सहमति नहीं बनी है और वे अपनी मांग के समर्थन में योजना के मुताबिक दो सितंबर को देशव्यापी हड़ताल करेंगे.

2 सितंबर से देशव्यापी हड़ताल का एेलान
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के सचिव डीएल सचदेव ने कहा, ‘किसी भी मुद्दे पर कोई आम सहमति या समझौता नहीं हुआ है। हम यहां किसी मुद्दे पर सरकार के साथ आम सहमति की उम्मीद लेकर नहीं आए थे। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दो सितंबर को एक दिन की हड़ताल का आह्वान का मुद्दा नहीं उठा और इसीलिए हमने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया। हमने दो सितंबर को हड़ताल पर जाने का निर्णय किया हुआ है, इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।'

इन मांगों पर अड़ा है यूनियन  
ट्रेड यूनिसन नियमित कर्मचारियों के लिए उपलब्ध वेतन और सेवा शर्तों की तरह अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए भी वेतन और सेवा शर्त की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी इस मांग को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। ट्रेड यूनियनों की मांग है कि न्यूनतम वेतन को देश भर में 15,000 रुपये महीना किया जाए, जो फिलहाल अभी विभिन्न राज्यों में 5,000 रुपये से लेकर 9,000 रुपये तक है।