वाशिंगटन: ऐतिहासिक असैन्य परमाणु संधि पर हस्ताक्षर के बाद के एक दशक में भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में हुई व्यापक प्रगति का उल्लेख करते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस प्रयास को बढ़ावा देने पर जोर दिया है ताकि अगले दशक को एक दूसरे बड़े परिवर्तन का बिंदू बनाया जा सके।

भारतीय उद्योग परिसंघ और अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक कार्नेगी एनडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भोज में बाइडेन ने कहा, ‘आगे कदम बढ़ाना हम पर निर्भर करता है।’ इस भोज का आयोजन भारत और अमेरिका के बीच हुई असैन्य परमाणु संधि की दसवीं वषर्गांठ के अवसर पर किया गया था।

बाइडेन वर्ष 2005 में सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने कांग्रेस में असैन्य परमाणु संधि को पारित कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उपराष्ट्रपति बाइडेन ने परमाणु संधि पर हस्ताक्षर के बाद एक दशक तक दोनों देशों द्वारा की गई व्यापक प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हम व्यापक बदलाव के दशक के शीर्ष बिंदू पर हैं।’

दोनों देशों के सहयोग की मिसाल देते हुए बाइडेन ने कहा, ‘भारत अब किसी भी अन्य देश की तुलना में अमेरिका के साथ ज्यादा सैन्य अभ्यास करता है। कई बार हम भूल जाते हैं कि हमने क्या किया। कदमों को एकसाथ आगे की दिशा में बढ़ाने के लिए दोनों ओर के नेताओं द्वारा साहस दिखाने की जरूरत होती है।’’ विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों द्वारा की गई प्रगति को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि हम इस दिशा में बढ़ना जारी रखते हैं तो ये अगली सदी का स्वरूप तय करेंगे।’ उपराष्ट्रपति ने द्विपक्षीय व्यापार को आगामी वषरें में बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक लाने के लक्ष्य को दोहराया।

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक असैन्य परमाणु संधि दरअसल भारत के पक्ष में दिया गया वोट था न कि असैन्य परमाणु सहयोग के पक्ष में। उन्होंने इसके लिए दोनों देशों के नेताओं की प्रतिबद्धता और नजरिए की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री (मनमोहन) सिंह ने अपने देश के भविष्य के लिए अपनी सरकार के भविष्य का जुआ खेला।’ जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग को इस संबंध का एक मुख्य पहलू बताते हुए बाइडेन ने इस साल के अंत में होने वाले पेरिस शिखर सम्मेलन में भारत की मौजूदगी के साथ सकारात्मक नतीजों की उम्मीद जताई। उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि भारत ओबामा प्रशासन की एशिया-प्रशांत के पुर्नसंतुलन की रणनीति का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘हम इस सोच को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका जापान और भारत के साथ आगामी समय में मंत्री स्तरीय त्रिपक्षीय बैठक करने पर भी विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि एशिया और प्रशांत की घटनाएं अमेरिका को प्रभावित करती हैं। क्षेत्र में नौपरिवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने में भारत और अमेरिका दोनों के ही व्यापक हित जुड़े हैं। अपने संबोधन में बाइडेन ने महिलाओं, जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों और मानवाधिकारों की सुरक्षा पर भी जोर दिया।