लखनऊ: ‘मिशन-2017’ फतह करने में जुटी बीजेपी की जीत को सुनिश्चित बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी खाका बनाना शुरू कर दिया है। नैनीताल में 22 से 24 तारीख को होने वाली संघ की बैठक में उत्तर प्रदेश की आगे की रणनीति के बारे में संगठन ने एजेंडा सेट करने पर विचार कर रहा है। वर्ष में एक बार होने वाली इस बैठक की संघ के जमीनी कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस बैठक में प्रांत प्रचारक और इससे ऊपर के प्रचारक के साथ-साथ संघ के केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक का स्थान भी इसमें तय होगा।
जून में पूरे देश में लगाए गए संघ के शारीरिक शिक्षा के शिविरों की स्थिति और उसमें शामिल होने वालों की संख्या की समीक्षा भी इसी बैठक में होगी। संघ के कामकाज को धन जुटाने के लिए प्रतिवर्ष होने वाले गुरु दक्षिणाओं के कार्यक्रम भी नैनीताल में ही तय होंगे। संघ पिछले एक अर्से से शाखाओं के विस्तार और संगठन की पकड़ व पहुंच और मजबूत बनाने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। पर, इस मामले में यूपी बड़ी चुनौती बना है। तमाम कोशिशों के बावजूद संघ के मूल काम शाखाओं का पहले जितना प्रभाव नहीं दिखता।
ग्रीष्मकालीन शारीरिक शिक्षा अभ्यास शिविरों में इस बार संख्या में बढ़ोतरी के साथ युवाओं की उत्साहजनक भागीदारी के मद्देनजर बैठक में संगठन कुछ नए कार्यक्रम तय कर सकता है। पिछले वर्ष अक्तूबर में इसके लिए सड़क किनारे हर गांव में शाखा खड़ी करने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। उसकी भी इस बैठक में समीक्षा होगी।
इन चुनौतियों पर बनेगी रणनीति-
वैसे तो यह बैठक संघ के ही मूल कामकाज का खाका खींचने के लिए होती, लेकिन संबद्ध संगठनों के केंद्रीय महामंत्रियों (संगठन) के भी बैठक में रहने से उनके बारे में भी चर्चा होना स्वाभाविक है। इसमें भाजपा पर चर्चा के दौरान न सिर्फ बिहार चुनाव बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों पर भी कुछ न कुछ चर्चा होगी। विहिप के बारे में बातचीत होने के दौरान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और इसको लेकर पिछले दिनों हुई बैठकों व बयानों पर भी बातचीत होना स्वाभाविक है। परंपरा के अनुसार, सभी संबद्ध संगठनों के केंद्रीय महामंत्रियों को अपने-अपने संगठनों की तरफ से अगले एक साल की महत्वपूर्ण बैठकों और कार्यक्रमों के बारे में इसमें जानकारी रखनी होती है, जिससे कार्यक्रमों की तारीखें परस्पर टकराए नहीं।