इंफाल। मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) हटाने की मांग को लेकर पिछले 14 साल से भूख हड़ताल कर रहीं 'आयरन लेडी' इरोम शर्मिला चानू को बुधवार को रिहा कर दिया गया। वह पिछले 13 साल से मणिपुर के एक अस्पताल में न्यायिक हिरासत में थीं। रिहाई के बाद शर्मिला ने कहा कि अफस्पा पर उनका नजरिया नहीं बदला है और जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वह भूख हड़ताल जारी रखेंगी।

मणिपुर की एक अदालत ने मंगलवार को शर्मिला को रिहा करने का आदेश दिया था। इंफाल में असम रायफल्स के जवानों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद शर्मिला ने नवंबर, 2000 में भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। तबियत बिगड़ने पर सरकार ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती करा दिया था। बाद में उन पर आत्महत्या के प्रयास का आरोप लगा अस्पताल में ही न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उन्हें जबरदस्ती नाक में नली लगाकर तरल खाद्य पदार्थ दिया जाता रहा, ताकि वह जीवित रहें।

अस्पताल से बाहर आने पर शर्मिला की आंखों में आंसू थे। लड़खड़ाती आवाज में उन्होंने कहा, 'यह भगवान की इच्छा है। मैं भावुक हूं। मैंने बहुत कष्ट सहा है। जब तक मेरी मांगे पूरी नहीं होतीं, भूख हड़ताल जारी रहेगी। यह मेरा अधिकार है। भूख हड़ताल को मैंने अपना हथियार बनाया है।' अफस्पा हटाए जाने की संभावनाओं पर 41 वर्षीय शर्मिला ने कहा, यह जनता की एकता पर निर्भर करता है, अगर जनता एक हो गई तो सरकार को अपना फैसला बदलना होगा।

क्या है अफस्पा

अफस्पा के तहत सुरक्षा बलों को असीमित अधिकार दिए गए हैं। शक के आधार पर वे बिना वारंट किसी को गिरफ्तार या पूछताछ कर सकते हैं या गोली चला सकते हैं। अफस्पा सुरक्षा बलों को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है और उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती।