नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जुबानी जंग जारी है। हुर्रियत नेताओं से मुलाकात को जायज ठहरा रहे पाक ने आगे भी उनसे मिलते रहने की बात कही है। वहीं, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर जैसे द्विपक्षीय मुद्दे पर शिमला समझौते व लाहौर घोषणा-पत्र के दायरे से बाहर किसी भी कोशिश का कोई नतीजा नहीं निकलेगा। सीमा पर लगातार फायरिंग कर रहे पाक ने उलटे भारत पर दो महीने में 57 बार युद्ध विराम तोड़ने का आरोप मढ़ दिया।
हुर्रियत नेताओं से मुलाकात कर विवाद की शुरुआत करने वाले पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने बुधवार को कहा कि कश्मीर मामले पर वहां के नेता भी एक पक्ष हैं। लिहाजा इस मामले को सुलझाने के लिए सभी पक्षों से बातचीत जरूरी है।
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर वहां के नेताओं या भारत में से किसी एक को चुनने के हक में नहीं है। एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में पाक उच्चायुक्त ने कहा कि उनका देश भारत के साथ बातचीत के जरिए सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के हक में है।
पाक उच्चायुक्त के बयान के कुछ ही घंटे के भीतर भारतीय विदेश मंत्रालय की भी तीखी प्रतिक्रिया आई। मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि 1972 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुए शिमला समझौते में ही तय हो गया था कि जम्मू-कश्मीर मामले पर दो ही पक्ष हैं एक भारत संघ और दूसरा पाकिस्तान इस्लामिक गणराज्य। यही हमारे द्विपक्षीय रिश्तों का आधार है। 1999 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ के बीच हुए समझौते में भी यही भावना जताई गई थी।
बीते कई सालों से पाकिस्तान और कश्मीरी नेताओं की मुलाकात की इजाजत दिए जाने के सवाल पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन का कहना था कि पाक की ओर से उच्चतम स्तर से यह भरोसा दिया गया था कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी ताकतों को नहीं करने देगा। साथ ही यह भी जताया गया था कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण बातचीत को लेकर प्रतिबद्ध है। हालांकि पर मुंबई आतंकी हमले और उसके बाद मामले की जांच को लेकर नजर आए पाकिस्तानी रवैये ने स्पष्ट कर दिया कि उनके इस भरोसे का कोई मतलब नहीं है।
इस बीच, पाक सेना की ओर से लगातार जारी संघर्ष विराम उल्लंघन ने भी भारतीय प्रयासों को धक्का पहुंचाया है। वैसे पाक उच्चायुक्त ने उलटे भारत पर ही जुलाई से अब तक 57 बार संघर्ष विराम उल्लंघन करने का आरोप मढ़ा। बासित का कहना था कि संघर्ष विराम होते हैं और भारतीय सेना ने अकारण फायरिंग कर शांति को तोड़ा। इसके लिए भारतीय उच्चायोग को पाक ने डिमार्श (कूटनीतिक विरोध का पत्र) भी दिया था।