भोपाल। मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सत्ता को उखाड़ फेंकने में अपना अहम रोल अदा करने वाले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आखिरकार शनिवार को अपने स्वागत-सम्मान समारोह के दौरान भाजपा मुख्यालय में मुख्यमंत्री के हाथ में इस्तीफा थमा दिया। सन् 2003 में उमा भारती की सरकार में सबसे पॉवरफुल कैबिनेट मंत्री बनकर उभरे कैलाश विजयवर्गीय लगातार 12 वर्षों तक मध्यप्रदेश की कैबिनेट में कई प्रमुख विभागों के मंत्री रहे। कैलाश विजयवर्गीय को उमा भारती बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में ‘ट्रबल-शूटर’ मिनिस्टर की श्रेणी में रखा जाता था। 12 वर्ष के अपने इस मंत्रिमंडल के सफर में कैलाश विजयवर्गीय को हमेशा महत्वपूर्ण विभागों से नवाजा गया। अपने रौबीले अंदाज और पॉलिटिकल शोमेन शिप के कारण कैलाश विजयवर्गीय अपनी ही पार्टी में कई दिग्गज नेताओं की आंखों की किरकिरी भी बने हुए थे। अधिकांश मामलों में उनका नाम जोड़कर उन्हें हर दो-तीन वर्ष की अवधि में कैबिनेट से बाहर किए जाने के लिए एक वर्ग विशेष सक्रिय रहा। लेकिन अपनी कर्मठता और संपर्कों के जरिए कैलाश विजयवर्गीय अपने दुश्मनों को निरुत्तर करते चले आए।
राज को राज रहने दो
इस्तीफे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बोले, हां मुझे इस्तीफा मिल गया है, कैलाश जी के इस्तीफे को अभी राज ही रहने दो... वो एक योग्य मंत्री के रूप में मेरे सहयोगी रहे। आदरणीय अमित शाह जी ने मेरी कैबिनेट के हीरे को चुनकर यह सिद्ध कर दिया है कि कैलाश जी कितने योग्य हैं।
दोनों ही मुस्कुरा दिए
शनिवार को बीजेपी दफ्तर में समारोह के बाद कैलाश विजयवर्गीय के सहयोगी ने जब इस्तीफे वाले लिफाफे की याद दिलाई तो कैलाश जी ने मुस्कुराते हुए तत्काल अपना इस्तीफे वाला लिफाफा मुख्यमंत्री के हाथों में सौंप दिया। शिवराज जी ने भी मुस्कराते हुए लिफाफे को जेब में रख लिया।
12 साल बाद कैलाश ने छोड़ा मंत्री पद
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