बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करना खास माना जाता है। किसी भी मांगलिक काम को शुरू करने से पहले गणपति जी पूजा करना शुभ माना जाता है, जिससे उन्हें उस काम में सफलता प्राप्त हो और सुख समृद्धि बनी रहे। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धाभाव के साथ भगवान गणेश की पूजा करता हैं, तो उसे हर तरह के संकट से छुटकारा मिल जाता है। गौरी पुत्र गणेश जी की पूजा करने के साथ-साथ गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से हर तरह के संकट दूर से ही भाग जाते हैं। इसके साथ ही मनचाही इच्छा पूरी होती है।
करें इस संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
बुधवार के अलावा नियमित रूप से गणेश स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है। स्तोत्र करने से पहले स्नान आदि करने के बाद आसन में बैठ जाएं। इसके बाद जमीन में पानी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके ऊपर पानी से भरा हुआ तांबे का गिलास या लोटा रख दें। इसके बाद गणपति जी की विधिवत पूजा करने के बाद गणेश स्तोत्र का अपनी सुविधा के अनुसार 5, 7, 11 आदि बार पाठ कर लें। जाप करने के बाद भगवान गणेश से प्रणाम कर लें। इसके बाद रखे हुए जल को पूरे घर और हर सदस्य के ऊपर छिड़क दें।