बैंकाक: भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज बैंकाक में 16वें संस्कृत विश्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं है, बल्कि ये जीवन को जानने समझने का जरिया है। संस्कृति के लिए विदेश मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी का नया पद बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन्स ने फैसला किया है कि संस्कृत के लिए विशेष योगदान देने वालों को अंतरराष्ट्रीय संस्कृत अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।
आपको बता दें कि सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के घरेलू और विदेशी मोर्चों पर किए गए 13 महीने के कामकाज की तारीफ करते हुए शनिवार को कहा कि बदलाव आया है और अब जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। इस सम्मेलन में विश्व के 60 देशों के संस्कृत के 600 विद्वानों ने भाग लिया।
भारत तथा थाईलैंड के संयुक्त आयोग की बैठक चार वर्ष में एक बार होती है और इसमें दोनों देशों की सरकारों के उच्च स्तर के अधिकारी भाग लेते हैं। दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने की संधि पर हस्ताक्षर के अलावा द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि की पुष्टि और उसके दस्तावेजों के आदान-प्रदान का कार्य हो सकता है। प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान किया गया था। थाईलैंड नालंदा विश्वविद्यालय के समझौते पर भी हस्ताक्षर कर सकता है।