कड़कड़डूमा : 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को तीसरी बार क्लीन चिट देने वाली सीबीआई ने अदालत को बताया कि उसने गवाहों को प्रभावित करने और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में टाइटलर के खिलाफ कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं की है।

सीबीआई ने यह जवाब अदालत के उस सवाल पर दिया है जिसमें पूछा गया था कि क्या उसने टाइटलर के खिलाफ आईपीसी के तहत झूठे सबूत देना, झूठी गवाही के लिए गवाह को धमकाना और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कोई एफआईआर दर्ज की है? जांच एजेंसी की ओर से मिले इस जवाब के बाद अडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट सौरभ प्रताप सिंह ललेर ने पीड़ितों की उस अर्जी का निपटारा कर दिया, जिसमें सीबीआई से इस सवाल का जवाब मांगा गया था।

अदालत ने टाइटलर को तीसरी बार क्लीन चिट देने वाली क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट पिटिशन दायर करने के लिए 30 जुलाई की तारीख तय कर दी। पीड़ितों की ओर से सीनियर एडवोकेट एच. एस. फुलका और एडवोकेट कामना वोहरा ने अदालत से प्रोटेस्ट पिटिशन दाखिल करने के लिए चार हफ्तों का समय मांगा था।

पिछली सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने अदालत में अर्जी दायर कर टाइटलर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने गवाह को पैसे देकर और उनके बेटे को विदेश भेजकर प्रभावित करने की कोशिश की थी। टाइटलर पर हवाला के जरिए पैसों का लेनदेन करने का आरोप लगाया गया था। टाइटलर के खिलाफ ये आरोप हथियारों के सौदागर व नेवी वार रूम लीक केस के आरोपी अभिषेक वर्मा के विवादित बयान से उजागर हुए थे।

बहस के दौरान जांच एजेंसी ने अदालत में कहा था कि वर्मा ने बताया था कि साल 2008 में टाइटलर ने उसे बताया कि वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले थे, जिसके बाद उन्हें 1984 के दंगों से जुड़े मामले में क्लीन चिट दे दी गई थी। जांच एजेंसी ने शंका जाहिर करते हुए कहा था कि वर्मा की मौखिक गवाही से टाइटलर के सुरिंदर सिंह ग्रंथी को प्रभावित करने की कोशिश की बात जाहिर होती है, लेकिन तब तक सिंह की मौत हो जाने की वजह से वह वर्मा के इस बयान की पुष्टि नहीं कर सकी थी। जेल में बंद वर्मा ने सीबीआई को 5 अगस्त 2013 को यह बयान दिया था।