नई दिल्ली। कश्मीर के हुर्रियत नेताओं से मुलाकात को लेकर भारत की ओर से सख्त संदेश दिए जाने के बावजूद पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने अलगाववादियों की मेहमाननवाजी के अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया। भारतीय एतराज को दरकिनार करते हुए उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने तय कार्यक्रम के मुताबिक मंगलवार को भी अलगाववादी नेताओं से मुलाकात का सिलसिला जारी रखा। पाकिस्तान के रवैये से खफा भारत द्वारा 25 अगस्त की प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर वार्ता रद किए जाने के बावजूद पाक उच्चायुक्त की कश्मीरी अलगाववादी नेताओं से मुलाकात ने संबंध सुधार की कोशिशों को पटरी से उतार दिया है।
भारत की ओर से सख्त संदेश दिए जाने के बावजूद अपने रुख पर अड़े पाक ने अलगाववादी नेताओं से अपने उच्चायुक्त की मुलाकात को जायज ठहराते हुए कहा कि वह भारत का मातहत नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तसनीम असलम ने कश्मीरी नेताओं से मुलाकात को भारत के अंदरूनी मामलों में दखल मानने से इन्कार कर दिया। उनका कहना था, 'पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और कश्मीर विवाद के निपटारे में भारत की ही तरह एक हिस्सेदार है। लिहाजा दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुरूप ही पाक उच्चायुक्त ने कश्मीरी नेताओं से मुलाकात की और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। साथ ही कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हुए उन्होंने उसे भारत का हिस्सा मानने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मसले पर भारत की राय मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस्लामाबाद के इस रवैये के बीच नई दिल्ली में पाक उच्चायुक्त ने मंगलवार को भी कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की।
इस कड़ी में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक जैसे अलगाववादी नेता पाक उच्चायुक्त से मिले। पाकिस्तान सरकार ने जहां विदेश सचिव वार्ता रद करने को लेकर भारतीय रवैये पर सवाल उठाए तो साथ ही कश्मीरी अलगाववादी नेता भी सुर में सुर मिलाते दिखे। हुर्रियत नेता यही कहते रहे कि कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के मद्देनजर उनकी बासित से मुलाकात में कुछ भी असहज नहीं।
गौरतलब है कि अलगाववादी नेताओं से मुलाकात न करने को लेकर भारत के हिदायत दिए जाने के बावजूद पाक ने अपना कार्यक्रम अपरिवर्तित रखा। सोमवार को विदेश सचिव सुजाता सिंह द्वारा फोन पर चेतावनी दिए जाने के बाद हुर्रियत नेता शब्बीर अली शाह से पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने मुलाकात की।
पाक के इस रवैये पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यदि अलगाववादियों से बात होती है तो फिर कूटनीतिक वार्ताओं की कोशिश बेमानी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न्योता देने के साथ संबंध सुधार की अपनी ओर से पहल शुरू की थी। 27 मई को हुई बातचीत में दोनों नेताओं ने बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ाने और संबंध सुधार के उपाय करने पर सहमति जताई थी।
हालांकि इसके बावजूद न केवल सीमा पर पाक सेना की गोलीबारी का सिलसिला जारी रहा, बल्कि कश्मीरी अलगाववादियों से मुलाकात कर भारत को चिढ़ाने वाला संकेत भी पाकिस्तान ने दिया।
वार्ता रद होने से अमेरिका निराश
भारत एवं पाकिस्तान के बीच होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद होने से अमेरिका बेहद निराश है। उसने दोनों देशों से अपील की है कि वे प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद वार्ता का रास्ता न छोड़ें।
विदेश विभाग की प्रवक्ता मेरी हर्फ ने कहा कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद द्वारा द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के लिए उठाए गए किसी भी कदम को अमेरिका का पूरा समर्थन हासिल है। भारत ने सोमवार को प्रस्तावित वार्ता रद करने का एलान किया था। सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान को हमसे वार्ता और कश्मीरी अलगाववादियों से मित्रता में से किसी एक को चुनना होगा।
पाक ने भारत में उच्चायुक्त अब्दुल बासित और हुर्रियत नेताओं की मुलाकात का बचाव करते हुए कहा था कि वार्ता रद करने से दोनों देशों के संबंधों को चोट पहुंचेगी। इस पर हर्फ ने कहा कि दोनों पक्ष कुछ भी कहें, मगर सच्चाई यह है कि वार्ता रद हो चुकी है। उन्हें पुरानी बातों को भुलाकर आगे बढ़ने का रास्ता निकालना होगा। हम एक बार फिर साफ कर देना चाहेंगे कि कश्मीर मुद्दे का समाधान भारत और पाक को आपस में ही निकालना होगा।
कश्मीर को भारत का हिस्सा मानने से पाक का इंकार, और बिगड़ी बात
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