नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है.
न्यायालय ने कहा कि राय की रिहाई की तारीख से सहारा द्वारा सेबी को 18 माह में 36,000 करोड रुपये नौ किस्तों में देने होंगे. पहली किश्त 3,000 करोड रुपये की होगी और दो बार चूक करने पर सेबी, सहारा द्वारा दी गई बैंक गारंटी को भुना सकता है.
न्यायालय ने कहा कि भुगतान के संबंध में अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो राय को समर्पण करना होगा. राय और सहारा के जेल में बंद दो अन्य निदेशकों को रिहा होने पर अपने पासपोर्ट जमा करने होंगे और वे देश से बाहर नहीं जा सकेंगे.
न्यायालय ने कहा कि देश में कहीं भी आने जाने के बारे में राय को दिल्ली पुलिस को अवगत कराते रहना होगा. न्यायालय ने रिहाई के लिए राशि की व्यवस्था करने की खातिर तिहाड जेल में राय की हिरासत अवधि आठ सप्ताह तक बढा दी है. न्यायालय द्वारा फैसला सुनाने जाने के बाद राय के वकील ने 5,000 करोड रुपये की बैंक गारंटी जमा करने में मुश्किल जताई है.
गौरतलब है कि सुब्रत राय और उनके समूह के दो निदेशक निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के अदालत के आदेश को नहीं मानने के कारण सहारा प्रमुख गत वर्ष 4 मार्च से जेल में बंद हैं. यह वह राशि है जो उनके समूह की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल और एसएचएफसीएल ने 2007-2008 में निवेशकों से वसूल की थी.
आपको बता दें कि न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायाधीश अनिल आर दवे और न्यायाधीश एके सीकरी की पीठ ने सेबी और सहारा प्रमुख से बड़े पैमाने पर सुनवाई के बाद 14 मई को रॉय की एक याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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