स्वास्थ्य मंत्रालय मेडिसिन बैचलर-बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) स्टूडेंट्स के लिए ‘एग्जिट एग्जाम’ शुरू करने की योजना बना रहा है.

जो स्टूडेंट्स इस निर्णायक एग्जाम को पास नहीं कर पाएंगे, उनके एमडी मेडिसिन या एमडी सर्जरी यानी स्नातकोत्तर (पीजी) करने पर रोक लगाई जा सकती है. यह टेस्ट सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भी होगा. देश में हर साल तैयार हो रहे डॉक्टरों की योग्यता में सुधार लाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के वैज्ञानिक इस अहम् योजना को अम्लीजामा पहनाने के लिए स्वरूप तैयार कर रहे हैं.

इस की प्रारंभिक जानकारी के अनुसार शुरू में ‘एग्जिट एग्जाम’ क्वॉलिफाई करने वाले डॉक्टरों के लिए अलग से ‘ऑल इंडिया चैप्टर’ बनाएगी. अभी डॉक्टर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के राज्य खंड से रजिस्ट्रेशन करवाते हैं. किसी दूसरे राज्य में जाने पर वे रजिस्ट्रेशन को ट्रांसफर करवा लेते हैं. मगर जो लोग एग्जिट एग्जाम को क्लियर कर लेंगे, वे देश में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकेंगे.

योजना सलाहकार कमेटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तैयार किए गए ड्राफ्ट में मौजूदा फॉरन ग्रेजुएशन एग्जाम (एफएमजीई) को वॉलंटरी एग्जिट एग्जाम के तौर पर इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.

वर्ष 2002 में एमसीआई रजिस्ट्रेशन के लिए एफएमजीई का स्क्रीन टेस्ट क्लियर करना होता है. अब स्वास्थ्य मंत्रालय एफएमजीई को सभी एमबीबीएस डॉक्टर्स के लिए बेंचमार्क के तौर पर करवाने पर विचार कर रही है.

एमसीआई के वरिष्ठ सदस्य डा. मनोज सिंह ने कहा कि प्रोत्साहित करने वाले सिस्टम के तौर पर हम इसे शुरू करना चाहते हैं. जो इस एग्जाम को क्लियर करेंगे, उन्हें एमसीआई के तहत नेशनल रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा, जिससे वे देश में कहीं भी प्रैक्टिस कर सकेंगे.

रैंकिंग में होगी आसानी: स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस कदम से सरकार को एग्जाम के रिजल्ट्स के हिसाब से कॉलेजों की रैंकिंग करने में भी आसानी होगी. सरकारी डेटा दिखाता है कि सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के पास मार्क्‍स में बहुत ज्यादा अंतर होता है. यहां तक कि हर राज्य के कालेजों में मार्क्‍स में भी फर्क होता है.

ऑल इंडिया पीजी एग्जाम्स में छात्र कैसा प्रदर्शन करते हैं, इससे यह भी पता चलता है कि किस तरह के डॉक्टर तैयार हो रहे हैं.  रिकार्ड बताते हैं कि हर साल करीब एक लाख डॉक्टरों ने पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एग्जामिनेशन दिया, मगर 25 हजार ही इसे क्लियर कर पाए. बाकी एमबीबीएस डॉक्टर्स के तौर पर काम करने लगे.

फैकल्टी में है रोष: बेशक एमबीबीएस डॉक्टर्स के लिए स्पेशल निर्णायक टेस्ट पर ड्राफ्ट तैयार करने का काम प्रारंभिक चरण में है लेकिन इस पहल को लेकर एम्स, यूसीएमएस, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, लेडी हार्डिग मेडिकल समेत राजधानी में स्थित अन्य कॉलेजों के फैकल्टी सदस्यों में रोष है.

उनका कहना है कि इस प्रक्रिया से एमबीबीएस के बाद पीजी करने वालों को दिक्कतें होंगी, उनका मनोबल गिरेगा.