उलनबटोर : भारत ने आज मंगोलिया को उसकी आर्थिक क्षमता एवं आधारभूत ढांचे के विस्तार के लिए एक अरब डालर की ऋण सुविधा देने की घोषणा की। दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक से सामरिक गठजोड़ स्तर का बनाने का भी निर्णय किया।

मंगोलिया की यात्रा पर यहां पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने समकक्ष चिमेद सायखानबिलेग के साथ व्यापक विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद दोनों पक्षों ने रक्षा, साइबर सुरक्षा, कृषि, नवीकरणीय उर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्र समेत 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

प्रधानमंत्री मोदी ने सायखानबिलेग के साथ राजकीय महल में संयुक्त मीडिया संबोधन में कहा, मुझे इस बात की घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत, मंगोलिया को आर्थिक क्षमता और आधारभूत संरचना के विस्तार के लिए एक अरब डॉलर का ऋण प्रदान करेगा। मंगोलिया को भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का अभिन्न हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों की नियति एशिया प्रशांत के भविष्य के साथ काफी निकटता से जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, यह संबंधों को और गहरा बनाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हमने अपने समग्र गठजोड़ को सामरिक गठजोड़ में तब्दील करने का निर्णय किया है। मोदी मंगोलिया की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि मंगोलिया की यात्रा पर आना उनके लिए सम्मान की बात है।

प्रधानमंत्री ने कहा, यह विशेष सौभाग्य की बात है कि वह ऐसे समय पर यहां आए हैं जब दो महत्वपूर्ण मील का पत्थर हमें एक बना रहा है.. पहला कि मंगोलिया में लोकतंत्र के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष हो रहे हैं। मोदी की टिप्पणी पर मंगोलिया के प्रधानमंत्री सायखानबिलेग ने कहा कि भारत आध्यात्मिक पड़ोसी है और मंगोलिया का तीसरा पड़ोसी है। इस पर मोदी ने कहा, हम हमेशा उस जिम्मेदारी को पूरा करेंगे जो इस सम्मान के साथ जुड़ी होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, मैं आज यहां प्रधानमंत्री के साथ मेरी चर्चा से काफी प्रसन्न हूं। द्विपक्षीय संबंधों के साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ के विषय पर हमारे विचार काफी एक जैसे हैं। उन्होंने कहा, हमने अभी जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये वे हमारे संबंधों की गहराई को बताते हैं। इनमें आर्थिक संबंध, विकास के लिए गठजोड़, रक्षा, सुरक्षा और लोगों के बीच संबंध शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच सहयोग से सामरिक सहयोग का ढांचा तैयार होगा। भारत, मंगोलिया को रक्षा एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों में साइबर सुरक्षा केंद्र स्थापित करने में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, हम अपने सुरक्षा सहयोग को काफी महत्व देते हैं। हम एक दूसरे के रक्षा अभ्यासों में हिस्सा लेना जारी रखेंगे। आज हमारे बीच हुए समझौते सीमा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनायेंगे। दोनों देशों के बीच कारोबार और निवेश संबंधों को कम बताते हुए मोदी ने कहा, हम अपने आर्थिक गठजोड़ को नयी उंचाइयों पर ले जायेंगे। उन्होंने कहा, असैन्य परमाणु क्षेत्र, खनन, स्वास्थ्य सुविधा, फार्मास्युटिकल्स और डेयरी के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। हमें अपने आर्थिक संबंधों के विस्तार के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की संभावना तलाशनी चाहिए। उन्होंने मंगोलिया के लिए आईटीईसी प्रशिक्षण की संख्या को 150 से बढ़ाकर 200 करने और भारत. मंगोलिया संयुक्त स्कूल स्थापित करने की भी घोषणा की।

मोदी ने कहा, मैं प्रधानमंत्री को बताना चाहता हूं कि हम हमारे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को काफी महत्व देते हैं जो हमारी मित्रता, साझी आध्यात्मिक विरासत और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। यह हमारे क्षेत्र में हमारे सहयोग के लिए ठोस आधार प्रदान करते हैं।

मोदी ने कहा कि दोनों देश अपने गठजोड़ के नये युग की शुरुआत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मंगोलिया को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का मजबूती से समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया। मोदी तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में कल देर रात मंगोलिया पहुंचे। उनका राजकीय महल में पारंपरिक स्वागत किया गया।

भारत का बौद्ध धर्म और लोकतंत्र के रूप में मंगोलिया के साथ मजबूत संबंध हैं और सोवियत संघ से इतर वह पहला देश था जिसके साथ भारत ने अपना राजनयिक संबंध स्थापित किया था। भारत महसूस करता है कि मंगोलिया के साथ खनिज क्षेत्र में सहयोग की काफी संभावनाएं हैं। मंगोलिया कोयला, तांबा, यूरेनियम जैसे खनिजों की प्रचुरता वाला देश है। भारत का मंगोलिया के साथ असैन्य परमाणु करार है जो घरेलू कानून के तहत अनुमति मिलने पर यूरेनियम के निर्यात का प्रावधान प्रदान करता है।