नयी दिल्ली : खुदरा मुद्रास्फीति के चार माह के निचले स्तर पर आने और दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन वृद्धि की रफ्तार सुस्त पडने से आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढ गई है. खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर चार महीने में सबसे नीचे 4.87 प्रतिशत रह गई है जबकि दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन वृद्धि की मार्च में पिछले पांच महीने के निम्न स्तर 2.1 प्रतिशत रहने से रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढी है.

खाद्य वस्तुओं, सब्जी और फलों के मूल्य वृद्धि कम रहने से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर चार महीने के निम्न स्तर 4.87 प्रतिशत रह गई. इससे पिछले महीने यह 5.17 प्रतिशत के आसपास थी. वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन (आइआइपी) वृद्धि दर मार्च में घटकर पांच महीने के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई जबकि पिछले साल मार्च में इसमें 0.5 प्रतिशत गिरावट आयी थी.

मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन आंकडों से सरकार एवं उद्योग का रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से नीतिगत दरों में कटौती का आह्वान मजबूत हुआ है. रिजर्व बैंक दो जून को मौद्रिक नीति समीक्षा करने वाला है. उद्योग मंडल सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस बारे में प्रतिक्रिया में कहा, 'मुद्रास्फीति के नरम होने से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक के लिये नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश बढी है ताकि वृद्धि को गति मिल सके और साथ ही बैंक ब्याज दर में कटौती के लिये प्रोत्साहित हों.'

फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सुरी ने कहा, 'विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर कमजोर बनी हुई है. क्षेत्र के लिये उच्च ब्याज दर, बुनियादी ढांचा बाधा, घरेलू तथा निर्यात की कमजोर मांग चिंता का कारण है. आने वाले महीनों में क्षेत्र की वृद्धि और प्रभावित हो सकती है.' केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रही है, जबकि 2013-14 में इसमें 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी.

इस बीच, फरवरी माह के औद्योगिक उत्पादन के आंकडे को संशोधित कर 4.86 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे पहले प्रारंभिक अनुमान में इसे पांच प्रतिशत बताया गया था. अक्तूबर, 2014 में औद्योगिक उत्पादन 2.7 प्रतिशत घटा था. नवंबर में इसमें 5.2 प्रतिशत, दिसंबर में 3.56 प्रतिशत तथा जनवरी में 2.77 प्रतिशत की बढोतरी हुई थी. आंकडों के अनुसार कुल औद्योगिक उत्पादन में 75 फीसद का योगदान रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि दर मार्च में 2.2 प्रतिशत रही.

पिछले साल इसी महीने में इसमें 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी. मांग का संकेत देने वाले पूंजीगत सामान क्षेत्र का उत्पादन मार्च में 7.6 प्रतिशत बढा. एक साल पहले इसी महीने में इसमें 11.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी. समीक्षाधीन महीने में खनन क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत बढा. मार्च, 2014 में इसमें 0.5 प्रतिशत की बढोतरी हुई थी. कुल मिलाकर मार्च में विनिर्माण क्षेत्र के 22 में से 13 उद्योग समूहों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई. पूरे 2014-15 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत रही.

2013-14 में इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी. पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र का उत्पादन वित्त वर्ष में 6.2 प्रतिशत बढा, जबकि 2013-14 में इस क्षेत्र का उत्पादन 3.6 प्रतिशत घटा था. बीते वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र का उत्पादन 1.4 प्रतिशत बढा जबकि इससे पिछले साल इसमें 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी. आंकडों के बारे में एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, 'सरकार को विनिर्माण क्षेत्र की वास्तविक संभावना को सामने लाने और रोजगार अवसर सृजित करने के लिये जमीनी स्तर पर सुधारों को और आगे बढाने की जरुरत है.'

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम ने कहा, 'उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में उत्साहजनक रही क्योंकि इससे नरम मौद्रिक नीति की गुंजाइश बनेगी और मांग बढाने में मदद मिलेगी.' आंकडों के अनुसार खाद्य उत्पादों, सब्जियों व फलों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में और नरम होकर 4.87 प्रतिशत पर आ गई जो चार महीने का निम्नतम स्तर है. खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 5.11 प्रतिशत रह गई जो कि मार्च में 6.14 प्रतिशत थी.

इसी तरह फल और सब्जी वर्ग की मुद्रास्फीति हल्की बढ कर क्रमश: 5.08 प्रतिशत तथा 6.63 प्रतिशत रही. इसी तरह अनाज व उसके उत्पादों की खुदरा कीमतों की वृद्धि की दर सालाना स्तर पर घट कर 2.15 प्रतिशत रही जबकि दूध व इसके उत्पादों के वर्ग में मुद्रास्फीति 8.21 प्रतिशत रही. प्रोटीन वाले उत्पादों की कीमत में वृद्धि अप्रैल में अपेक्षाकृत उंची रही. 'मांस मछली' वर्ग में मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत तथा 'दाल व उसके उत्पादों' की मुद्रास्फीति 12.52 प्रतिशत रही.