जबलपुर। जीआरपी और आरपीएफ एक सिक्के के दो पहलू की तरह हैं, लेकिन आरपीएफ अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर ही है। ट्रेन में आरपीएफ के सुरक्षा गार्ड चलते हैं। लेकिन वे यात्रियों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया के साथ जिस गोंडवाना एक्सप्रेस में लूट हुई, उसमें आरपीएफ के गार्ड थे, लेकिन वे न ही घटना को रोक सके और न ही आरोपियों को पकड़ पाए।

प्रदेश के रेल डीजी मैथलीशरण गुप्ता ने नई दुनिया से अनौपचारिक चर्चा में आरपीएफ की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए। वहीं रेल डीजी के बयान पर जब आरपीएफ से बात की गई तो आरपीएफ के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट सरफराज अहमद का कहना था कि आरपीएफ अपना काम बेहतर ढंग से कर रही है।

रेल डीजी ने जीआरपी को खत्म करने की बात पर कहा कि यह पूरी तरह से सैद्धांतिक नहीं है। ट्रेनों में अपराध रोकने के लिए जितना काम जीआरपी कर रही है, वे बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि आरपीएफ ने न तो ट्रेनों से अब तक अवैध वेंडर अलग किए हैं और न ही स्टेशनों में अनाधिकृत लोगों का प्रवेश रोका है।

जीआरपी में आया बदलाव

जीआरपी ने हाल के दिनों में खुद में काफी बदलाव किया है। रेल डीजी ने कहा कि बात जीआरपी एप की हो या फिर ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा की। हमने सभी में बेहतर काम किया है। हालांकि गर्मी के मौसम में चोरी की वारदातें बढ़ जाती हैं। इसे रोकने के लिए चोरी की धारा को अब लूट में बदल दिया गया है।

ये भी कहा रेल डीजी ने

- प्रदेश के बाहर की गैंग की पहचान कर उन्हें पकड़ने की तैयारी कर ली गई है।

- ट्रेनों में अब ऑब्जर्वर टीम तैनात रहेगी, जो सिर्फ अपराधियों पर नजर रखेगी।

- ये पूरी तरह से सिविल ड्रेस में होगी और तकनीकी तौर पर अपडेट रहेगी।

- चोरों की घेराबंदी कर उन्हें पकड़ रहे हैं।

- चोरों के साथ उन्हें छुड़वाने वालों पर भी नजर है।