नई दिल्ली : कैग की एक रिपोर्ट को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को राज्यसभा में दावा किया कि अगर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार सहित किसी भी गलत काम के आरोप साबित हो जाएं, तो वह मंत्री के साथ संसद सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा कि वह इस मामले में वित्त मंत्रालय की किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.

सड़क परिवहन मंत्री गडकरी के बयान से असंतोष जताते हुए कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया. इस मुद्दे पर पिछले दो दिन और मंगलवार को लंचटाइम के पहले तक राज्यसभा में लगातार गतिरोध बना रहा. विपक्ष का आरोप था कि गडकरी से संबंधित कंपनी पूर्ति साखर कारखाने ने सब्सिडी का दुरुपयोग किया और लोन नहीं चुकाया.

वित्त मंत्रालय से जांच को तैयार गडकरी
गडकरी ने मंगलवार को सदन में दिए गए बयान को विपक्ष की मांग पर मंगलवार को एक बार दोहराया और कहा कि उन्हें कोई फायदा नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा, 'अगर दुनिया की किसी भी अदालत में मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप साबित होता है तो वह न सिर्फ मंत्री पद बल्कि संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने को तैयार हैं.’ उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को चुनौती दी कि वह इस मामले में चाहें तो वित्त मंत्रालय से कोई भी जांच करा सकते हैं.

इससे पहले गडकरी से स्पष्टीकरण मांगते हुए कांग्रेस के आनंद शर्मा, दिग्विजय सिंह, शांताराम नाइक और विपक्ष के कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि गडकरी की कंपनी ने न केवल सब्सिडी का दुरुपयोग किया बल्कि जिस मकसद के लिए सब्सिडी दी गई, उसमें भी शर्तो का उल्लंघन किया गया. हालांकि गडकरी ने दावा किया कि उनकी कंपनी ने एक रुपये की सब्सिडी भी नहीं ली.

क्या लोन लेना करप्शन है: गडकरी
गडकरी ने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट में न कहीं मुझ पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप है और न ही मेरे खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की गई है. पूर्ति साखर कारखाना के संबंध में भी इस रिपोर्ट में किसी अनियमितता या भ्रष्टाचार की कोई बात नहीं है.’ उन्होंने कहा कि पूर्ति साखर कारखाने से साल 2000 से 2011 के बीच बतौर अध्यक्ष जुड़े थे. उन्होंने सवाल किया, ‘क्या कर्ज लेना भ्रष्टाचार है? क्या सूद सहित ऋण लौटा देना भ्रष्टाचार है?’

उन्होंने कहा कि कैग की यह रिपोर्ट इंडियन रिन्यूवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (इरडा) द्वारा 29 कंपनियों को लोन दिए जाने में अपनाई गई प्रतिक्रिया के तहत निबटाए गये थे. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट में लोन के किसी भी प्रकार से गलत इस्तेमाल, हेराफेरी या फिर भ्रष्टाचार की बात नहीं कहीं गई है.

पूर्ति ने नहीं की कोई अनियमितता: गडकरी
गडकरी ने कहा कि उनकी कंपनी को यह लोन इरडा ने दिया था और यह प्रक्रिया एकमुश्त निस्तारण प्रक्रिया 2008-09 में अपने वैध मानक के अंतर्गत पूरी हुई थी. उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी. गडकरी ने कहा, 'उस समय मैं न तो सांसद था और न ही भारत सरकार के किसी पद पर था.’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में इरडा में जो प्रक्रिया अपनाई गयी उसमें कुछ खामियां और अनियमितता का आरोप है. इस पर इरडा ने अपना स्पष्टीकरण दिया है और आडिट रिपोर्ट में कैग की टिप्पणी को मंजूर नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि पूर्ति साखर कारखाना ने किसी भी तरह की अनियमितता नहीं की और न ही इरडा के सामने गलत तथ्य रखे हैं. ऑडिट रिपोर्ट में भी इस तरह का कोई आरोप पूर्ति साखर कारखाने के खिलाफ नहीं है. गडकरी ने कहा कि उनकी कंपनी ने सभी लोन को एक मुश्त निस्तारण योजना के तहत सही तरीके से चुकाया. कुल देनदारी और ब्याज के बड़े हिस्से के 84.81 प्रतिशत को इरडा के साथ पूरी ईमानदारी के साथ लौटाया.

उन्होंने कहा कि लोन की मूल्य राशि 46.63 करोड़ थी. सही तरीके से ब्याज के प्रमुख हिस्से को इरडा को चुका दिया गया. कुल देनदारी का 84.81 प्रतिशत चुकाया गया है जबकि बाकी कंपनियों की कुल देनदारी की औसत वसूली 46.75 प्रतिशत है. इससे यह साफ होता है कि पूर्ति ने इरडा के कर्ज को मूल एवं ब्याज सहित चुकाकर सही व्यावसायिक प्रक्रिया का परिचय दिया.