नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर 27 प्रतिशत रखे जाने की अटकलें हैं पर यह दर इससे काफी कम होगी। उन्होंने कहा कि अंतिम दर जीएसटी परिषद द्वारा तय की जायेगी।

लोकसभा में जीएसटी विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये जेटली ने कहा, मैं साफ तौर पर यह स्वीकार करता हूं कि 27 प्रतिशत की दर काफी उंची है। इस (राजस्व निरपेक्ष) 27 प्रतिशत की दर के सामने आने के बाद, राज्यों और केन्द्र ने अल्कोहल को इससे बाहर रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, हमने पेट्रोलियम पदार्थों को बाहर रखने का फैसला किया है तथा केन्द्र हो अथवा राज्य, कोई वित्त मंत्री अपने लोगों पर उंची दर से कर नहीं लगाता चाहता है। इस तरह इस दर (राजस्व निरपेक्ष दर) उस संख्या (27 प्रतिशत) के मुकाबले काफी कम होगी जिसका उल्लेख किया गया है। राजस्व निरपेक्ष दर वह बीच की दर होती है जिसके रखने पर राज्यों को राजस्व की हानि नहीं होगी।

जीएसटी परिषद में जेटली (केंद्रीय वित्त मंत्री) चेयरमैन होंगे। इसके सदस्यों में दो तिहाई राज्यों के और एक तिहाई केंद्र के होंगे। इसमें फैसले तीन चौथाई बहुमत से लिए जाएंगे। जेटली ने कहा कि तीन चौथाई बहुमत की जरूरत से यह सुनिश्चित होगा कि केंद्र और राज्यों को मिल कर चलना होगा। जीएसटी को देश में अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। इसके लागू होने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्यों के वैट, चुंगी, प्रवेश शुल्क, विलासिता कर और क्रय कर जैसे सभी अप्रत्यक्ष कर इसमें समाहित कर लिए जाएंगे।

अरुण जेटली ने 27 प्रतिशत की दर की अटकलों को लेकर सदस्यों की चिंता को दूर करते हुए कहा कि, यह काफी उंची है। इससे लागत और मूल्य बढ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह संख्या सरकार या जीएसटी परिषद ने नहीं बल्कि एक संगठन ने अपने आकलन के आधार पर प्रस्तुत किया था। उन्होंने जीएसटी की राजस्व निरपेक्ष दर के बारे अपनी ओर से कोई अटकल लगाने से बचते हुए कहा कि 13वें वित्त आयोग ने 18 प्रतिशत की एक संभावित संख्या सुझाई थी।

उन्होंने जीएसटी पर वित्त मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति के सुझावों को सहयोगपूर्ण संघवाद के सिद्धांतों के अनुकूल बताया। सहयोगपूर्ण संघवाद का अर्थ है कि राज्य मजबूत हों, पर इसका मतलब केंद्र का कमजोर होना नहीं है।