नई दिल्लीः दिल्ली का बॉस कौन है, इसे लेकर एक बार फिर से एलजी और सीएम के बीच टकराव नजर आ रहा है। उपराज्यपाल नजीब जंग ने रविवार को दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों और अफसरों को महत्वपूर्ण फाइलें उनके ऑफिस भेजने का कड़ा निर्देश जारी किया किया।


इस तरह उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऑफिस के उस आदेश को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस, कानून व्यवस्था, जमीन आदि से जुड़ी फाइलें एलजी को भेजने की जरूरत नहीं है।


उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से रविवार को जारी प्रेस रिलीज में संविधान, गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी एक्ट और ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स का हवाला देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल उपराज्यपाल को सलाह देने के लिए हैं। उपराज्यपाल अपने विवेक से काम करने को स्वतंत्र हैं, इसलिए ऐसी सभी फाइलें, जिनके आधार पर विधानसभा में कानून बनाए जा सकते हों, उन्हें एलजी के पास फाइनल अप्रूवल के लिए भेजा जाना चाहिए।


प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि एलजी ने निर्देश दिया है कि इस बारे में अफसरों को पहले जारी किया गया निर्देश वापस लिया जाता है। सभी अफसरों को संविधान और संबंधित कानूनों का पूरी तरह पालन करने को कहा गया है।

एलजी ही ताकतवर: विशेषज्ञ 

दिल्ली विधानसभा और लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी एस.के. शर्मा के मुताबिक, अगर इस मामले पर टकराव बढ़ता है तो एलजी संविधान के अनुच्छेद 239(4) के तहत राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेंगे। राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा। जब तक कोई निर्णय नहीं होता, एलजी निर्देश देते रहेंगे। एक बार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और तत्कालीन एलजी के बीच इसी तरह कुछ टकराव हुआ था, तब भी एलजी को ही सुप्रीम माना गया था।

केंद्र-दिल्ली सरकार में बढ़ता टकराव

इस मसले को भी केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव की तरह देखा जा रहा है। इससे पहले आम आदमी पार्टी की रैली में किसान गजेंद्र की मौत की जांच को लेकर दिल्ली सरकार के मैजिस्ट्रेट और दिल्ली पुलिस में ठन गई थी। शनिवार को दिल्ली सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा रिश्वतखोरी के आरोप में एक हवलदार की गिरफ्तारी पर भी दिल्ली पुलिस ने सख्त ऐतराज किया था।