नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि के दो मुकदमों की कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी। अदालत ने इस संबंध में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ ही इन पर भी सुनवाई करके फैसला करने का निश्चय किया है।

शीर्ष अदालत ने अभियोजन का यह अनुरोध स्वीकार नहीं किया कि केजरीवाल और अन्य के खिलाफ निचली अदालत में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पूर्व राजनीतिक सचिव की ओर से दायर आपराधिक मामलों की सुनवाई जारी रखनी चाहिए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने इस मामले में केंद्र और दूसरे प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि एक बार हमने अन्य मामलों पर रोक लगाने का निर्देश दे दिया है, दूसरे मामलों में भी इसी का अनुसरण होगा।

अदालत ने कहा कि आपराधिक मानहानि के मामलों से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 की वैधानिकता की परख करनी होगी। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तारीख तय की है। कपिल सिब्बल के वकील पुत्र अमित सिब्बल ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के तत्कालीन नेता प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर मानहानि का मामला दायर किया है। जबकि दीक्षित के पूर्व राजनतिक सचिव पवन खेड़ा ने राजधानी में अक्तूबर, 2012 में बिजली की दरों में वृद्धि के विरोध के दौरान की गई टिप्पणियों को लेकर मामला दायर किया है।

इनके वकील चाहते थे कि शीर्ष अदालत मीडिया को अपमानकारी विवरण प्रकाशित करने से रोके लेकिन अदालत ने इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया। अदालत ने 17 अप्रैल को केजरीवाल के खिलाफ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वकील सुरेंद्र कुमार शर्मा की ओर से दायर मानहानि के मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। गडकरी का आरोप था कि आप के नेता ने भारत के भ्रष्टतम लोगों की पार्टी की सूची में उनका नाम शामिल करके उनकी मानहानि की है। यह मामला अदालत में लंबित है और इसमें हाल ही में अदालत ने आंशिक रूप से गडकरी का बयान भी दर्ज किया था।

दूसरा मामला केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और योगेंद्र यादव के खिलाफ है, जिसे शर्मा ने दायर किया है। शर्मा का आरोप है कि इन नेताओं ने 2013 के विधानसभा चुनावों में उन्हें पार्टी का टिकट देने से इनकार करने के बाद खबरिया लेखों में उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए थे। इन मानहानि के मुकदमों के खिलाफ केजरीवाल की याचिकाओं को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के साथ संलग्न कर दिया गया है। स्वामी ने भी इन दोनों प्रावधानों की वैधानिकता को चुनौती दे रखी है। केजरीवाल ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 199 (2) को भी निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन होता है।