काठमांडू : नेपाल में आए शक्तिशाली भूकंप के चलते मरने वालों की तादाद 3200 से ज्‍यादा हो गई है। वहीं, 6000 अन्‍य लोग घायल हैं। जानकारी के अनुसार, सोमवार को नेपाल में मौसम साफ होने के चलते बचाव और राहत के काम में तेजी लाई गई है। नेपाल में रविवार को भी कई बार भूकंप के झटके लगे। इससे पहले, हिमालय की गोद में बसे नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में शनिवार को पूरी रात और रविवार सुबह तक भूकंप के झटके लगते रहे। दहशतजदा हजारों लोगों ने रात खुले आसमान तले बिताई। भूकंप को लेकर लोगों में अब भी खौफ व्‍याप्‍त है।

अकेले काठमांडू घाटी में 1,053 लोगों के मारे जाने की खबर है। जीवित लोगों की तलाश जारी है और अधिकारियों को मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। अभी भी मलबे में हजारों की संख्‍या में लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। मृतकों की संख्या दिन भर बढ़ने के बीच यहां सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। भूकंप से जहां एक ओर नेपाल तबाह हो गया, वहीं भारत में अब तक 62 लोगों की मौत हो गई और 259 घायल हो गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह सचिव एलसी. गोयल ने जानकारी दी।

उधर, नई दिल्‍ली में नेपाल में राहत और बचाव अभियानों में समन्वय के लिए गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बीके प्रसाद की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालय टीम रवाना हुआ है। नेपाल से अब तक करीब 2000 भारतीय नागरिक सुरक्षित वतन लौटे हैं। भारत ने 1000 राहतकर्मियों के दल को नेपाल भेजा है। वायुसेना के दो ध्रुव हेलीकाप्‍टर भी ऑपरेशन मैत्री अभियान में जुटे हैं। उत्‍तर प्रदेश और बिहार में सोमवार और मंगलवार को स्‍कूल बंद कर दिए गए हैं।  

नेपाल में आए भीषण भूकंप में मरने वालों की संख्या सोमवार को 3200 पार कर गई जबकि 6000 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस बीच, बारिश और ताजा झटकों के कारण मकानों और इमारतों के मलबे के ढेर के नीचे दबे जीवित लोगों को निकालने के प्रयास भी बाधित हो रहे हैं। गृहमंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन खंड के प्रमुख रामेश्वर डांगल ने कहा कि मृतकों की संख्या 3218 पहुंच चुकी है और 6500 से ज्यादा लोग घायल हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी की बेटी समेत पांच भारतीय इस भूकंप में मारे गए लोगों में शामिल हैं।

बिजली न होने की वजह से काठमांडो शहर कोई भूतिया शहर मालूम होता है। वहां भारी बारिश हो रही है। इस स्थिति के चलते हवाईअड्डे को बंद करना पड़ा और अफरातफरी के इस माहौल के बीच अपने घर जाने के लिए बेताब विदेशी पर्यटक यहां फंसे हैं। हजारों लोगों को बारिश से बचने के लिए शहर की सड़कों पर लगाए गए प्लास्टिक से बने अस्थायी तंबुओं में रात गुजारनी पड़ी। नेपाली टाइम्‍स के संपादक कुंदा दीक्षित ने ट्वीट किया कि अभी भी बारिश हो रही है, जो कि स्थिति को और खराब बनाती है। इसमें तसल्ली सिर्फ इतनी है कि इससे कुछ शरणस्थलियों पर पानी का संकट कम हो सकेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल को तत्काल ही तंबुओं और दवाओं की जरूरत है।

भूकंप के मुख्य झटकों के बाद कल आए शक्तिशाली झटकों के कारण पीड़ित लोगों के बीच दहशत मच गई थी और माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हो गया था। इस कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी। शनिवार के भूकंप के मुख्य झटकों के बाद भी झटकों का सिलसिला जारी रहा और कल 6.7 तीव्रता और उसके बाद फिर 6.5 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। इसके कारण खौफजदा लोग निकलकर खुले स्थानों पर आ गए थे। शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के कारण भारी तबाही हुई है। ताजा भूकंप के झटकों के डर के कारण लोग ठंड से भरी रात में खुले इलाके में रह रहे हैं।

अकेली काठमांडू घाटी में ही 1053 लोगों के मारे जाने की खबर है। बचे हुए लोगों की जांच जारी होने के कारण अधिकारियों को इस संख्या के बढ़ने की आशंका है। मृतकों के अंतिम संस्कार सामूहिक रूप से किए गए और मृतकों की संख्या में दिनभर वृद्धि होती रही। बीते 80 से भी ज्यादा वर्षों में देश के इतिहास में आए अब तक के सबसे भीषण भूकंप को देखते हुए नेपाल ने आपातस्थिति की घोषणा कर दी है और भारतीय बचाव दलों समेत अंतरराष्ट्रीय बचाव दल नेपाल पहुंच चुके हैं। भारत ने बचाव और पुनर्वास के एक बड़े प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जिनमें अस्पताल सुविधाएं, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री है।

भारत ने राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया है। एक वरिष्ठ स्तरीय अंतरमंत्रालयी दल नेपाल का दौरा करके यह आकलन करेगा कि भारत किस तरह राहत अभियानों में बेहतर सहयोग कर सकता है। बचावकर्मी मलबे के ढेर में फंसे जीवित लोगों की खोज हाथों से भी कर रहे हैं और भारी उपकरणों से भी। ताजा झटकों, तूफानों और पर्वतीय श्रृंखलाओं पर हिमपात के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहे हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक जीवित बचे लोगों को निकालने के लिए मलबे में खोज में जुटे रहे। जब लोग जीवित पाए जाते तो वहां मौजूद लोगों में हर्ष की लहर दौड़ जाती। हालांकि अधिकतर शव ही बाहर निकाले गए। नेपाल के कई अन्य इलाकों की तरह काठमांडो इस आपदा के कारण हुई तबाही से निपटने की एक भारी चुनौती का सामना कर रहा है। राजधानी में पूरी-पूरी सड़कों और चौराहों पर मलबा पड़ा है। इस शहर की जनसंख्या लगभग तीस लाख है।