नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 'मन की बात' करते हुए नेपाल के भूकंप का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने 26 जनवरी 2001 के कच्छ भूकंप को निकट से देखा है। ये आपदा कितनी भयानक होती है, उसकी मैं कल्पना भली-भांति कर सकता हूं। मेरे प्यारे नेपाल के भाइयों-बहनों, हिन्दुस्तान आपके दुःख में आपके साथ है।'
हमारा सबसे पहला काम है बचाव कार्य, लोगों को बचाना। अभी भी मलबे में दबे हुए कुछ लोग जीवित होंगे, उनको जिन्दा निकालना हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद रिलीफ का काम भी चलाना है। पुनर्वास का काम भी बहुत लंबा चलेगा। मानवता की अपनी एक ताकत होती है। सवा-सौ करोड़ देशवासियों के लिए नेपाल अपना है। उन लोगों का दुःख भी हमारा दुःख है।
यमन में युद्ध की भयंकर स्थिति में हज़ारों भारतीयों को हम सुरक्षित निकाल पाए। एक सप्ताह की उम्र की एक बच्ची को जब बचा करके लाये तो ऐसा लग रहा था कि आखिर मानवता की भी कितनी बड़ी ताकत होती है। यमन में हमने दुनिया के करीब 48 देशों के नागरिकों को बचाया था। पिछले दिनों विदेश में जहां भी गया सभी ने इसकी सराहना की, बधाइयां दी। हमारे इसी प्रयास के कारण दुनिया ने भारत के 'सेवा परमो धर्मः', की अनुभूति की है।
देश में कुछ परिवार हैं जो सर पे मैला ढोने के लिए मजबूर हैं। मेरा आग्रह है कि हम बाबा साहेब आंबेडकर जी की 125वीं जयंती पर इस कलंक से मुक्ति पाएं। हम संकल्प करें कि हमारे गांव में, नगर में, मोहल्ले में किसी के भी बेटी या बेटा, अनपढ़ न रहे।
खेलों में भारत की दो बेटियों ने गौरवान्वित किया। साइना नेहवाल बैडमिंटन में, सानिया मिर्जा टेनिस डबल्स में दुनिया में नंबर एक बनी। देश की सारी बेटियों को बधाई। वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हारने पर हमारे खिलाड़ियों के लिए जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया, जो व्यवहार किया ये अच्छा नहीं है। खिलाड़ी कभी हार गए हैं तो संकट की घड़ी में हमें उनका हौसला बुलंद करना चाहिये। जय और पराजय तो जिंदगी के हिस्से होते हैं।
कभी दुर्घटना होने पर हमें गुस्से में गाड़ियों को नहीं जलाना चाहिए। अपने मन के भावों को संतुलित रखना चाहिए। आपदाओं में भी हमें धैर्य और आत्मविश्वास के साथ देश को आगे ले जाना होगा। कल्याण के मार्ग पर हम संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहेंगे। विद्यार्थियों की परीक्षाएं खत्म हुई हैं। आप सभी को शुभकामनाएं। वकेशंस अच्छे रहे, जीवन में नया सीखने का अवसर मिले।