मैनपुरी : वक्त का मरहम जिस जख्म को भर चुका था, वह फिर से हरा हो गया। ड्यूटी के दौरान सियाचिन में शहीद हुए सैनिक गयाप्रसाद का शव 18 साल बाद एक ग्लेशियर में दबा हुआ मिला है। सूचना मिलने के बाद उनका बेटा सतीश शव को लेने के लिए रवाना हो गया तो परिवार में माहौल फिर से गमगीन है।
90 वर्षीय पिता गजाधर सिंह की आंखें भर आई, उनकी जुबां से बस यही शब्द निकले ‘मरने से पहले बेटे का शव देख लूं तो आत्मा को शांति मिल जाएगी’।
गयाप्रसाद गांव कुड़रिया समान के रहने वाले थे और 1996 में आपरेशन मेघदूत के दौरान सियाचिन ग्लेशियर की दरार में गिरकर लापता हो गए थे। सेना ने उनको शहीद मान लिया था।
एक सप्ताह पूर्व रिटायर्ड सूबेदार बादशाह सिंह निवासी गांव पीसापुरा इटावा ने परिजनों को बताया कि एक शहीद सैनिक का शव सियाचिन ग्लेशियर में मिला है। शव से मिले टैग व सर्विस कार्ड नंबर 2980287 के आधार पर उसकी पहचान गयाप्रसाद के रूप में हुई है।
उस समय सूबेदार बादशाह सिंह भी गयाप्रसाद के साथ 15वीं राजपूत रेजीमेंट में हवलदार थे। परिजन गयाप्रसाद को याद कर बिलख रहे हैं। पत्नी रामादेवी का कहना है कि पति के अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाई थी, यह मलाल हमेशा रहता था।
18 साल शव आने की सूचना पर क्षेत्रीय लोग सतीश के घर पहुंच रहे हैं।