श्रीनगर : अलगाववादी मसर्रत आलम की गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार राहत महसूस कर रही है। गृहमंत्रालय ने गिरफ्तारी को लेकर अपना संतोष जाहिर किया है। साथ ही राज्य सरकार को यह संदेश भी भेजा है कि अन्य अलगाववादी ताकतों पर भी पूरी नजर रखें। अलगाववादियों को किसी भी सूरत में देशद्रोह की गतिविधियों में शामिल होने की इजाजत नहीं दें। केंद्र सरकार ने कहा है कि अलगाववाद और आतंकवाद दोनों ही स्तरों पर जीरो टालरेंस की नीति जारी रहेगी।

श्रीनगर में गिरफ्तारी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन
जेल से रिहा होने के 40 दिन बाद कट्टरपंथी नेता मसर्रत आलम को शुक्रवार सुबह राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। मुफ्ती सरकार ने गुरुवार रात हुर्रियत कांफ्रेंस अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी समेत मसर्रत को घर में नजरबंद किया था। गिरफ्तारी के विरोध में श्रीनगर में कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें दो पुलिसकर्मी समेत 14 लोग घायल हुए।

श्रीनगर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, मसर्रत को सुबह शहर के हब्बाकदम इलाके स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर शहीदगंज पुलिस थाना लाया गया। गिलानी, आलम और अन्य अलगाववादी नेताओं ने बुधवार को एक रैली के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने के साथ ही पाकिस्तानी झंडा लहराया था। उसके खिलाफ अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम और कानूनों की अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

राजद्रोह के आरोप में मसर्रत को गिरफ्तार करने के बाद श्रीनगर में हिंसा भडम्क उठी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रध्वज जलाने के साथ ही सुरक्षाबलों पर पथराव किया। पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।  इसमें दो पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हुए।

* घाटी के कट्टरपंथी नेता को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया
* विरोध में लोगों का प्रदर्शन-सुरक्षाबलों पर पथराव, 14 लोग घायल

अलगाववादियों का अगुआ बनना चाहता है मसर्रत

जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग का प्रमुख और कट्टरपंथी नेता मसर्रत आलम की गिरफ्तारी से राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की अलगाववादियों से संपर्क साधने की कोशिशों को झटका लगा है। साथ ही इस घटनाक्रम ने अस्वस्थ चल रहे कट्टरपंथी हुर्रियत गुट के नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के उत्तराधिकारी बनने की 43 साल के मसर्रत की दावेदारी को मजबूत किया है।

84 वर्षीय गिलानी अभी लंबे समय से हुर्रियत के बैनर तले एकजुट छह दलों की अगुवाई कर रहे हैं। अलगाववादी मुहिम का बेधड़क समर्थन करने वाला मसर्रत पिछले 25 सालों में 15 साल जेल में रहा है। उसे गिलानी का मजबूत उत्तराधिकारी माना जा रहा है। पाकिस्तान का समर्थक रहा मसर्रत पहले भी सड़क पर हिंसक प्रदर्शनों और उग्र अभियानों की अगुवाई करता रहा है।

वर्ष 2010 में कई माह तक घाटी में अशांति फैलाने वाले और सौ से ज्यादा मौतों के लिए विरोध प्रदर्शनों का वह मास्टरमाइंड माना जाता है। अलगाववादी मुहिम के नारे और दीवारों पर ऐसी भड़काऊ इबारत गढ़ने में वह माहिर माना जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को उकसाया जा सके।

लेकिन बुधवार को गिलानी के स्वागत के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में नारे और उसके झंडे लहराने का उसका ताजा कदम सईद के अलगाववादियों से संपर्क साधने के प्रयासों को पलीता लगा सकता है। मुफ्ती ने शांतिपूर्ण चुनाव के लिए कट्टरपंथियों का शुक्रिया अदा करने के साथ मसर्रत को रिहा कर एक बड़ा दांव खेला था लेकिन 40 दिनों में ही वे विकल्पहीन स्थिति में नजर आ रहे हैं। हुर्रियत नेताओं और जेकेएलएफ मुखिया यासीन मलिक के पाकिस्तानी अफसरों से मिलने और भड़काऊ प्रदर्शनों ने मुफ्ती के सियासी विकल्पों को बेहद सीमित कर दिया है।

मसर्रत का अतीत
1990 में पहली बार गिरफ्तार हुआ था, आतंकवाद की हिमायत में 1996 तक जेल में रहा
2008 में अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 99 एकड़ वन भूमि के खिलाफ प्रदर्शन से चर्चा में आया
2010 जून में रिहा किया गया, उस वक्त कश्मीर में तीन युवकों की मौत पर प्रदर्शन हो रहे थे
त्राल में एक युवक की मौत को लेकर दोबारा हिंसा भड़काने की कोशिश में है मसर्रत आलम

कौन है यह कट्टरपंथी
* 2008-10 के दौरान पत्थरबाजी की आडम् में आतंकी साजिश रची
* देशविरोधी गतिविधियों के चलते उसपर 10 लाख का ईनाम घोषित हुआ
* देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के साथ ही कई धाराओं के तहत दर्जनों मुकदमे दर्ज
*अक्तूबर 2010 में गिरफ्तार हुआ, हाल में मुफ्ती सरकार ने उसे रिहा किया

हम जिहाद जारी रखेंगे
पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले 45 वर्षीय  मसर्रत ने अपनी गिरफ्तार से पहले कहा, हुर्रियर अध्यक्ष और मुङो घर में नजरबंद रखा गया है। असल में सरकार का मकसद ‘त्राल चलो’ के हमारे मार्च को नाकाम बनाना है लेकिन हम अपना जिहाद जारी रखेंगे।

 मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि देश की एकता, अखंडता को खंडित करने वाले किसी भी तत्व को बख्शा
-राजनाथ सिंह


जनता को भड़काया
सरकारी प्रवक्ता ने कहा, हमने रैली की वीडियो फुटेज में पाया कि आलम देश विरोधी नारे लगा रहा था। उसने पाक का झंडा लहराया।


केंद्र ने दिखाई थी सख्ती
सूत्रों के मुताबिक मसर्रत की गिरफ्तारी को लेकर केंद्र की ओर से दो टूक संदेश मुफ्ती सरकार को भेज दिया गया था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बहुत ही सख्त लहजे में राज्य के मुख्यमंत्री से कहा था कि अगर इस मामले में ढिलाई हुई तो इसका संदेश ठीक नहीं जाएगा। हालांकि मुफ्ती शुरू में राज्य में माहौल बिगड़ने का तर्क देकर गिरफ्तारी को टालने के पक्ष में था। उन्होंने मसर्रत को नजरबंद करने की योजना बीच का रास्ता निकालने की रणनीति के तहत बनाई थी। लेकिन केंद्र सरकार और राज्य में पीडीपी की घटक भाजपा ने साफ कर दिया था कि गिरफ्तारी से कम पर कोई बात नहीं बनेगी।

20 अप्रैल से संसद का सत्र भी शुरु हो रहा है। केंद्र सरकार संसद के भीतर इस मसले पर फजीहत से बचना चाहती थी। कांग्रेस व जनता परिवार के घटक दलों ने पूरी तैयारी कर ली थी कि मसर्रतके मामले को लेकर वे संसद में सरकार से सीधा सवाल करेंगे।

अन्य अलगाववादियों से भी होगी सख्ती
गौरतलब है कि मसर्रतको गिरफ्तारी के बाद जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि राष्ट्रद्रोह के मसले पर किसी भी तरह से कोताही या नरमी का संदेश नहीं जाना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया है कि सरकार अन्य अलगाववादी तत्वों से भी कड़ाई से पेश आएगी।

मसर्रत के खिलाफ लगाई हैं कई सारी धाराएं
शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए अलगाववादी मसर्रत आलम पर लगाई गई तमाम धाराएं पहले भी उसके खिलाफ पुख्ता आरोपों के आधार पर लगाई गई हैं। लेकिन राज्य सरकार की एजेंसियों की ओर से की गई लापरवाही के चलते वर्ष 1995 से ज्यादातर मामलों में जांच ही चलती रही। वर्ष 2010 में हुई गिरफ्तारी के बाद भी दर्ज मामलों को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने की सार्थक पहल नहीं हुई। मसर्रत के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों के अलावा,देश के खिलाफ साजिश रचने,हिंसा फैलाने और एनडीपीएस एक्ट के तहत मामले 1995 से वर्ष 2013 के दौरान कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं। ताजा दर्ज किए गए मामलों से पहले जो 27 मामले मसर्रत के खिलाफ चल रहे थे उनमें से करीब 16 मामलों में अभी तक जांच जारी है।

पुराने मामलों की भी पड़ताल चाहती है केंद्र सरकार
ज्यादातर मामलों में क्लीन चिट मिले बिना ही राज्य सरकार की लापरवाही के चलते मसर्रत रिहा हो गया था। केंद्र सरकार चाहती है कि ताजा मामलों के अलावा उसके खिलाफ पहले से चल रहे मामलों में भी आरोप पत्र दाखिल करने की संभावना तलाश की जाए।
 
केंद्रीय एजेंसियां भी तैयार कर रही हैं क्राइम प्रोफाइल
गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमने पहले भी मामलों को एनआईए को सौंपने के अलावा अन्य विकल्पों पर गौर किया है। लेकिन बेहतर होगा कि राज्य सरकार की एजेंसियां देश के खिलाफ षडयंत्र रचने और देशद्रोह जैसे गंभीर मामलों में स्वंय कार्रवाई करें। गृहमंत्रालय ने राज्य के गृहविभाग से संभावनाओं पर गौर करने को कहा है कि मसर्रत के खिलाफ ममालों में आरोप पत्र दायर करने के अलावा उसकी सुनवाई भी त्वरित तरीके से हो। एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों से भी मसर्रत की अपराध प्रोफाइल तैयार करने को कहा है,जिससे उस पर पूरी तरह से शिकंजा कसा जा सके।

किसी सरकार ने नहीं दिखाई सख्ती
गृहमंत्रालय के मुताबिक मसर्रत के विरुद्ध आधा दर्जन से ज्यदा मौकों पर गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा 120 बी के तहत साजिश रचने का मामला भी कम से कम पांच बार दर्ज किया जा चुका है। ताजा मामले में लगाई गई धाराएं 147,341,336 और 427 के तहत भी मामले आधा दर्जन से ज्यादा मौकों पर दर्ज किए जा चुके हैं। उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाने का सिलसिला वर्ष 1995 में ही शुरु हो गया था। लेकिन सूबे में कोई भी सरकार रही हो किसी ने भी अपेक्षित सख्ती नहीं दिखाई और मसर्रत गंभीर मामलों के बावजूद कानून के शिकंजे से बचने में कामयाब रहा।

इस बार लगी हैं यह धाराएं
मसर्रत के खिलाफ ताजा मामलों में धारा 13 के अंतर्गत गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम 12० बी, 147, 341, 336, 427 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन सभी मामलों की जांच के बाद उसे जेल भेजा जा सकता है।