जम्मू कश्मीर: कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में अलग से कलौनी बनाने के मामले पर हर रोज नए बयान सामने आ रहे हैं। जहां एक तरफ मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद अपने ही बयान से मुकर गए वहीं अब नैशनल कान्फ्रेंस ने नया बयान जारी किया है। पार्टी का कहना है कि पंडितों के घाटी छोडऩे के लिए आतंकवादी नहीं बल्कि राज्य के पूर्व राज्यपाल जगमोहन जिम्मेदार हैं।
नैकां ने मांग की है कि ट्रुथ एंड रिकंसाइलेशन आयोग स्थापित किया जाए ताकि सच सामने आ पाए। स्थानीय समाचार ऐजेंसी को दिए बयान में पार्टी के अतिरिक्त महासचिव डा. शेख मुस्तफा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों में ही कुछ स्वार्थी तत्व हैं जो अपने ही समुदाय के लोगों के विश्वास के साथ खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह वो लोग हैं जो कश्मीर को सांप्रदायिक रंग से रंगते हैं और मुस्लमानों की छवि को खराब करने में लगे रहते हैं। नैकां नेता ने कहा कि अब भी ऐसा ही हो रहा है।
मामले को अलग ढंग से पेश किया जा रहा है ताकि कश्मीर के मुस्लमानों को बदनाम किया जा सके और उनप सांप्रदायिकता का लेबल लगाया जा सके।कमाल ने कहा कि वास्तव में हकीकत यह है कि कश्मीरी पंडितों का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जो घाटी वापिस जाना ही नहीं चाहता है क्योंकि विश्व के कई हिस्सों में वे लोग अच्छे से बस गए हैं। उन्होंने कहा, पंडितों से पूछो तो सही क्या वो वाकई में कश्मीर वापिस जाना चाहते है? नैकां नेता ने कहा कि राजनीति करके मामले को तूल दी जा रही है और कुछ नहीं। डा कमल मुस्तफा डा फारूक अब्दुल्ला के भाई हैं और जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक अहम भूमिका रखते हैं।
डा मुस्तफा ने कहा कि जब डा फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने भारत सरकार से 300 करोड़ रु पए जारी करवाए ताकि कश्मीरी पंडित घाटी वापिस जा सकें। उस समय पंडितों को प्रत्येक परिवार 8 लाख रु पए दिए जा रहे थे घर बनाने के लिए और 20 लाख रु पए व्यापार जमाने के लिए लेकिन कोई भी वापिस जाने को तैयार नहीं हुआ। अब इस बात की क्या गारंटी है कि यह लोग वापिस जाना चाहते हैं।
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए आतंकवादी नहीं जगमोहन जिम्मेदार हैं
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