शास्त्रों की बात , जानें धर्म के साथ एक दयालु किसान था। वह सभी के काम आता था। उसकी दो लड़कियां थीं। उन्हें वह प्राणों से भी अधिक प्यार करता था। दोनों लड़कियां खेलती-कूदती बड़ी होने लगीं। जब वे विवाह योग्य हो गईं तो किसान ने बड़ी लड़की का विवाह एक धनी व्यापारी के यहां किया। उस व्यापारी के घर कपड़े रंगने का काम होता था। छोटी लड़की का विवाह किसान ने अपने जैसे ही एक किसान के घर किया। दोनों लड़कियां अपने-अपने वर और ससुराल से संतुष्ट और प्रसन्न थीं।
इसी तरह कई महीने बीत गए। सावन का महीना आ गया। पत्नी ने किसान से कहा कि लड़कियों के घर सिंधाड़ा भेजना है। किसान भी यही सोच रहा था। वह पहले सिंधाड़ा लेकर बड़ी लड़की के घर पहुंचा। किसान ने अपनी बड़ी बेटी के पास घंटों बैठकर उसके दुख-सुख की बात पूछी। लड़की ने किसान से कहा, ''पिता जी, और सब तो ठीक है। बस, यह आजकल का मौसम हमारे लिए परेशानी पैदा करता है। कभी-कभी दिन भर बादल छाए रहते हैं। ऐसे में हमारे रंगे कपड़े भी नहीं सूख पाते। इससे हानि होती है। जरा आप भगवान से प्रार्थना करें कि रोज धूप निकला करें।''
''ठीक है बेटी, मैं तुम्हारे लिए जरूर भगवान से प्रार्थना करूंगा।''
इतना कह कर किसान वापस लौट आया।
दूसरे दिन किसान सिंधाड़ा लेकर छोटी लड़की के घर पहुंचा। किसान ने उससे भी उसके दुख-सुख के बारे में पूछा। उसने कहा, ''पिता जी सावन यूं ही बीता जा रहा है। एक दिन भी खुल कर वर्षा नहीं हुई। खेत में धान सूखे जा रहे हैं। आप जरा मेरे लिए भगवान से प्रार्थना करें कि रोज वर्षा हुआ करें।''
''ठीक है बेटी मैं अवश्य भगवान से प्रार्थना करूंगा कि वह खूब वर्षा करें।''
किसान ने अपनी बेटी से कहा फिर वह अपने घर वापस लौट पड़ा।वह रास्ते भर चिंता में पड़ा रहा कि क्या किया जाए। उसके सामने यह समस्या पैदा हो गई थी कि वह कौन-सी लड़की के लिए भगवान से प्रार्थना करें। अगर वह बड़ी बेटी के लिए प्रार्थना करता तो छोटी बेटी के धान सूखने का डर था अगर छोटी बेटी के लिए प्रार्थना करता तो बड़ी लड़की के रंगे कपड़े न सूखने से उसे हानि होने का डर था।
किसान इसी चिंता में डूबा अपने घर जा पहुंचा। उसने पत्नी को सारी बात बताई। किसान की बात सुन कर उसकी पत्नी ने मुस्कराकर कहा, ''आप भी किस चिंता में डूबे हैं। हर काम का अपना-अपना समय होता है। बरसात के महीने में वर्षा होती है और गर्मी में तेज धूप भी चमकेगी। भला इसे कौन रोक सकता है। हमारी बेटियां जब तक अपने-अपने सुख की चिंता करती रहेंगी तब तक उन्हें दुख घेरे ही रखेगा। अच्छा यही है कि आप दोनों बेटियों के लिए अलग-अलग प्रार्थना करने की बजाय भगवान से दोनों के सुख की प्रार्थना करें।''
पत्नी की बात किसान की समझ में आ गई। फिर उसने ऐसा ही किया। सच्चा सुख दूसरों का हित करने में ही मिलता है।