रंगून : म्यांमार में 65 साल से ज्यादा समय से चल रहे संघर्ष के समाप्त होने की स्थिति बन गई है. म्यांमार सरकार और स्थानीय अल्पसंख्यक विद्रोहियों ने देश में गोलीबारी बंद होने के समझोते की धाराओं पर सहमति बनाई है. संघर्ष-विराम समझौते के मसौदे पर मंगलवार को सरकार और 16 सशस्त्र जातीय गुटों ने हस्ताक्षर कर दिए है. इस मौके पर देश के राष्ट्रपति थिन सेन भी मौजूद थे.
शांति वार्ता के दरवाजे खोलता
यदि दोनों पक्ष संघर्ष-विराम मसौदे की पुष्टि कर देते हैं तो यह म्यांमार में शांति के लिए बड़ी उपलब्धि होगी. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मसौदे का स्वागत किया है. उसने इसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया है. इससे स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहे जातीय गुट और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता खुल जाएगा, जिससे देशव्यापी युद्धविराम समझौते का रास्ता प्रशस्त होगा. म्यांमार के राष्ट्रपति ने इस पर खुशी जताते हुए कहा है कि मसौदा राजनीतिक बातचीत और शांति वार्ता के दरवाजे खोलता है. वहीं चीन को आशा है कि संबंधित पक्ष जल्द ही देश भर में गोलीबारी बंद होने से हालात काफी अच्छे हो जायेंगे, इस सहमति का दोनों स्वागत करना चाहिये, ताकि उत्तरी म्यांमार और चीन-म्यांमार सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता एक बार फिर बहाल की जा सके.
ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि
गौरतलब है कि सात दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्ष इस मसौदे के लिए राजी हुए हैं. सरकार ने इसके लिए यूनियन पीस वर्किंग कमेटी और विद्रोही गुटों ने राष्ट्रव्यापी संघर्ष-विराम समन्वय समिति बनाई थी. म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार विजय नाम्बियार ने कहा है कि सोलह साल से अधिक लंबे संघर्ष के बाद म्यामांर सरकार और 16 जातीय सशस्त्र समूहों का एक संघर्ष विराम समझौते पर पहुंचना एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है. जातीय सशस्त्र समूहों के एक सम्मेलन के बाद ही पूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हो सकता है जिसके लिए अभी तारीख तय नहीं हुई है. इसके अलावा यह भी कहा कि यह समझौता दोनों पक्षों के बीच संभावित सहयोग और विश्र्वास को दर्शाता है.इससे म्यांमार में नई शुरुआत का रास्ता तैयार हुआ है.
म्यांमार में 65 साल लंबे संघर्ष पर विराम एक ऐतिहासिक उपलब्धि: संयुक्त राष्ट्र संघ
← पिछली खबर
आपके विचार
पाठको की राय