भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल कर्मकांड नहीं है। इसका मतलब प्रकृति की पूजा, पर्यावरण बचाना, पेड़ लगाना और पेड़ों को कटने से रोकना है। उन्होंने कहा कि मैं कन्हैया को प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने साढ़े 5 हजार साल पहले हमें मंत्र दिया था कि प्रकृति और पहाड़ों की पूजा करो, सही मायने में यही गोवर्धन पूजा है। धरती को अगर बचाना है तो अभी से सजग होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज उज्जैन में गोवर्धन पूजा कर अंकुर अभियान में वॉलेंटियर्स कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद श्री वी.डी.शर्मा और श्री अनिल फिराजिया उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाकाल मंदिर में दर्शन कर विधिवत पूजा-अर्चना की और त्रिवेणी संग्रहालय के पास गोवर्धन पूजा के बाद पौध-रोपण भी किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज बाबा केदारनाथ की पवित्र धरती से यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जो उद्बोधन दिया है वह केवल भाषण मात्र नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का महाअभियान है। कभी स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था जो अंधे हैं वह देख नहीं सकते, जो बहरे हैं वह सुन नहीं सकते, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से देख रहा हूँ कि महाविनाश का अंत निकट है। भारत माता एक बार फिर से अपने नेत्र खोल रही है। एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न और समृद्ध भारत का निर्माण होगा और 21वीं सदी भारत की होगी। पहले नरेंद्र स्वामी विवेकानंद ने जो कहा था, उसे आज दूसरे नरेंद्र पूरा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि G-20 वाले देश तो अब कह रहे है इस दुनिया में हम परेशान है। धरती की सतह का तापमान बढ़ रहा है। आशंका है कि तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा और कार्बन गैसों का उत्सर्जन होता रहा तो कई शहर कुछ बरसों के बाद पानी में समा जाएँगे और दुनिया में तबाही बढ़ेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम सब को यह सोचना होगा कि इस धरती को जीवन के लिए सुरक्षित रहने देना है या नहीं, क्या इस धरती पर आने वाली पीढ़ियों का अधिकार नहीं है। यह हमारा दायित्व बनता है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित धरती छोड़कर जाएँ। हमें धरती बचाने के अभियान में जुटना पड़ेगा। इसलिए प्रदेश में अंकुर अभियान प्रारंभ किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गोवर्धन पूजा के दिन प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाने के साथ पेड़ों को बचाने के लिए भी सभी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं रोज एक पेड़ लगाता हूँ। आप यदि मेरी तरह प्रतिदिन पेड़ नहीं लगा सकते, तो विशेष अवसरों पर साल में एक पेड़ तो लगा ही सकते हैं। शादी की वर्षगाँठ, बेटा-बेटी के जन्म-दिन और माताजी-पिताजी की पुण्य-स्मृति पर पौधा लगाकर स्मृतियों को ताजा रखा जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शादी की वर्षगाँठ पर यदि पति-पत्नी दोनों मिलकर एक पेड़ लगाएँ तो वर्षगाँठ का आनंद कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अंकुर अभियान धरती को बचाने का पवित्र महाअभियान है। गोवर्धन पूजा का भी यही संदेश है। कृष्ण भगवान ने भी यही संदेश दिया कि.. "केवल पूजा मत करो, प्रकृति बचाओ, पेड़ बचाओ, पर्यावरण बचाओ"।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारे मत्स्यपुराण में कहा गया है कि- दशकूपसमावापी दशवापी समो ह्रद:। दशह्रदसम: पुत्रो दशपत्रसमो द्रुम:॥ अर्थात 10 कुओं के बराबर एक बावड़ी होती है, 10 बावड़ियों के बराबर एक तालाब होता है, 10 तालाबों के बराबर एक पुत्र होता है और 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है। यह भारत का दुनिया को संदेश है। पर्यावरण का इससे बड़ा सम्मान और क्या हो सकता है। इसलिए मैं गोवर्धन पूजा के अवसर पर प्रदेश की साढ़े 8 करोड़ जनता से वृक्ष लगाने का आह्वान करता हूँ। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों को छोड़ दिया जाए तो 5 करोड़ जनता तो पेड़ लगा ही सकती है। यदि एक व्यक्ति एक-एक पेड़ लगाता है तो 5 करोड़ पेड़ और यदि 2-2 पेड़ लगाता है तो 10 करोड़ पेड़ एक साल में लग सकते है, जो धरती को बचाने में अहम काम करेंगे। यह काम केवल सरकार के भरोसे नहीं हो सकता। इसमें समाज को भी सहभागी बनना होगा। इसी उद्देश्य से प्रदेश में अंकुर अभियान 5 जून पर्यावरण दिवस पर हमने प्रारंभ किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मुझे कहते हुए खुशी है कि 2 लाख 97 हजार नागरिकों ने अंकुर अभियान में वायुदूत एप पर पंजीयन कराया और अब तक 4 लाख 36 हजार पौधों को रोपित कर उनके फोटो एप पर अपलोड भी किए गए। अभी इस दिशा में और तेजी से बढ़ने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन-अभियान परिषद के मित्र समुदाय के लोगों को भी इस काम में जोड़ें। हमारा ध्येय सिर्फ पेड़ लगाना नहीं उसे संरक्षण देना भी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमने तय किया है अंकुर अभियान से जुड़े मित्रों को "वृक्ष वीर और वृक्ष वीरांगना" की उपाधि और "प्राणवायु अवार्ड" से सम्मानित भी किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लासगो सम्मेलन में पर्यावरण को बचाने भारत के लक्ष्यों को दुनिया के सामने रखा है। उन्होंने भारत के लिए पंचामृत निर्धारित किए हैं। भारत वर्ष 2030 तक अपनी नॉन-फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी को 500 गीगावॉट तक पहुँचाएगा और 50%  ऊर्जा की पूर्ति नवकरणीय ऊर्जा से करेगा। साथ ही कुल प्रोजेक्टेड कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी करेगा, अपनी अर्थ-व्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा। वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो कार्बन का लक्ष्य हासिल करेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का यह अभियान अभिनंदनीय है और मध्यप्रदेश इस अभियान से जुड़ने के लिए कृत-संकल्पित है। मैंने मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से इन लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुछ फैसले किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 सालों में हमने नवकरणीय परियोजनाओं की स्थापित क्षमता 500 मेगावाट से 10 गुना बढ़ाकर 5400 मेगावाट कर दी है। एक नहीं अनेक सोलर पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं। मध्यप्रदेश में बन रही सौर ऊर्जा से दिल्ली की ट्रेन चला रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में अब तक स्थापित सोलर प्लांट और स्थापित हो रहे प्लांटस की जानकारी देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर बांध में सोलर पैनल बिछाकर दुनिया का अद्भुत प्रयोग किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह गोवर्धन पूजा से जुड़ा विषय है। प्रदेशवासी अब अपना व्यक्तिगत और समूह में सोलर पावर प्लांट लगा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार उन्हें सहयोग करेगी और उनकी अतिरिक्त बिजली क्रय भी करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सस्ती बिजली के लिए 21 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। हम किसानों से 3 हजार रुपए लेते है और बिजली देते हैं 51 हजार रुपए की। जो गरीबों को बिजली दी जा रही है उस पर लगभग 6 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी सरकार भरती है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अनावश्यक बिजली का उपयोग न करने और बिजली बचत करने की अपील भी की।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने डीजल और पेट्रोल की दरों में कमी की है। मध्यप्रदेश सरकार ने भी जनहित में डीजल और पेट्रोल सस्ता किया है।  

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महाकाल की नगरी को सांस्कृतिक रूप से संवारने के लिए कार्य किये जा रहे हैं। महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व उज्जैनवासी मिलकर महाकाल महाराज की नगरी का अद्भुत श्रृंगार करेंगे और दीपमालाएँ लगेंगी। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का विवाह माँ गौरी के साथ अनूठे एवं अद्भुत तरीके से होगा।