मथुरा। इस बार जन्माष्टमी पर कान्हा के 5240वें जन्मदिवस को लेकर नक्षत्रों की क्रीड़ा ने तिथियों पर विद्वता की तकरार शुरू करा दी है। अलग-अलग पंरपराओं के निर्धारण से हिंदू धर्मावलंबी भ्रमित हैं। जन्माष्टमी कब और क्यों के सवालों के जवाब देते-देते विद्वजन हैरान और परेशान हो गए हैं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा बताते हैं कि वैष्णव सिद्धांत व परंपरा में सूर्योदय काल में विद्यमान तिथि से ही उस तिथि की प्राप्ति मानी जाती है। वैष्णव सिद्धांत के अनुसार, जिस दिन सूर्य उदय काल में सप्तमी थोड़ी सी भी होती है, तो जन्माष्टमी का व्रतोत्सव उसके दूसरे दिन मानते हैं। रविवार को सप्तमी प्रात: 5.58 बजे तक है और सूर्य उदय 5.53 बजे (मथुरा में) होगा। सोमवार को अष्टमी प्रात: 6.06 बजे तक है और सूर्य उदय 6.04 बजे (मथुरा में) है। लिहाजा मथुरा में सोमवार को ही भगवान का जन्मोत्सव आयोजित किया जाना शास्त्र सम्मत है।
उधर, द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि पुष्टीमार्गीय संप्रदाय के नाथद्वारा से जन्माष्टमी की तारीख तय है। तृतीय पीठ के पीठाधीश्वर ब्रजेश कुमार महाराज कांकरौल वाले पत्रा बनाते हैं। इस पत्रा के आधार पर रविवार को द्वारिकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी मनाई जाएगी।