अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने आज आसाराम की अस्थाई जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्होंने अपने भांजे के अंतिम संस्कार के लिए 30 दिनों के लिए रिहा करने की मांग की थी। आसाराम बलात्कार मामले में आरोपी है। न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने आज कहा कि आसाराम को अपने भांजे का महज अंतिम संस्कार करने के लिए अस्थायी जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।

73 वर्षीय आसाराम ने अस्थाई जमानत के लिए कल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जब एक दिन पहले गांधीनगर की एक अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। गांधीनगर की अदालत ने यह कहते हुए आसाराम को जमानत देने से मना कर दिया था कि उनके भांजे शंकर पगरानी (68) का अंतिम संस्कार मृतक के परिवार के अन्य सदस्य कर सकते हैं। पगरानी की 19 मार्च को मृत्यु हो गई थी। उनका शव शहर के सिविल अस्पताल में कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है।

आसाराम की याचिका में कहा गया था कि पगरानी ने आखिरी इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके मामा करेंगे क्योंकि उसके माता-पिता की काफी पहले मृत्यु हो गई थी। सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उसके पुत्र नारायण साई के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं और उन पर बलात्कार, यौन उत्पीडऩ, अवैध कैद और अन्य अपराधों का आरोप लगाया था।