पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार की राजनीति को अकेले मुसहर जाति कंट्रोल कर सकती है. सही रूप से मुसहर जाति की जनगणना हो और वे मतदान केंद्र पर पहुंचे, तो बिहार की राजनीति पर एकाधिकार हो सकता है. दलित की आबादी करीब डेढ़ करोड़ है और इनमें करीब सवा करोड़ दलित वोटर हैं. सभी सही रूप से आगे आये, तो बिहार की राजनीति की चाबी इनके हाथ में ही होगी. सीएम ने एक बार फिर कहा कि मेरा बस चले, तोअगला मुख्यमंत्री  मैं नीतीश कुमार को ही बनाऊंगा, लेकिन दलित-महादलित सतर्क रहें, तो अगला मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति का ही होगा. मुख्यमंत्री बुधवार को एसके मेमोरियल सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय मुसहर चेतना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग कहते हैं कि नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और अब मांझी ही मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं. ऐसी अफवाह उड़ायी जा रही है. यह सही है कि नीतीश कुमार ने मुङो मुख्यमंत्री बनाया. यह कहने से मैंने कभी भी इनकार नहीं किया. हम लोग गरीब होते हैं, लेकिन बेईमान नहीं होते हैं. उन्होंने मौका दिया और हम लाभ ले रहे हैं. अगर अनुसूचित जाति समाज सतर्क रहे, तो अगला मुख्यमंत्री भी अनुसूचित जाति का होगा और वह होना भी चाहिए. जीतन राम मांझी की सब इच्छाएं पूरी हो गयी हैं और अब कोई अपेक्षा नहीं है. नीतीश कुमार ने बिहार और समाज के सभी लोगों के लिए काम किया है.
 
जन-बूझ कर हमलोगों की कम आबादी बतायी जा रही : मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मुसहर-भुइंया जाति की आबादी करीब 55-56 लाख होगी, लेकिन जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार उसे 29 लाख ही बताया गया है. 1931 में देश की आबादी 33 करोड़ थी, जबकि बिहार में मुसहर-भुइंया की आबादी 16 लाख थी. इतने सालों में जब देश की आबादी चौगुनी बढ़ गयी है, तो मुसहर की आबादी कैसे नहीं बढ़ी होगी. आबादी का सर्वेक्षण होता है, तो इस समाज के लोग भी चुप रहते हैं. समाज के बड़े लोग नहीं चाहते कि मुसहर समाज आगे बढ़े. आपको काटा जा रहा है. दास और मजदूर बना कर रखना चाहते हैं. साजिश हो रही है, उसे पहले ही समझना होगा. समाज के बड़े लोग नहीं चाहते कि गरीब के बच्चे पढ़े, लेकिन मांझी या उसके बेटे डिमोरलाइज नहीं होंगे. सीएम ने कहा कि दलित हो या मुसहर, उनका विकास तब तक नहीं होगा, जब तक राजनीति की चाबी उनके हाथ में नहीं आयेगी. राजनीति से ही विकास हो सकता है.
 
दूसरा होता, तो घर बैठ जाता
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले आठ महीने में जिस प्रकार दबाव बना, जो आरोप लगाये गये, अगर दूसरा मुख्यमंत्री होता ,तो घर पर बैठा होता. आज जीतन राम मांझी की चर्चा देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रही है. हमें बिहार के लिए जो कुछ करना था, वह कर दिया. बिहार के लिए नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ने जो कुछ नहीं सोच सके हैं, वह कोई और सोचेगा. सीएम ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री बना, तो तीन डिसमिल जमीन और 20 हजार की राशि को बढ़ाया. अब पांच डिसमिल जमीन दी जा रही है. छात्रओं के लिए एमए तक की पढ़ाई नि:शुल्क की गयी है. अगर कोई दूसरा होता, तो यह नहीं करता.
 
सम्मेलन में थे मौजूद : मुसहर चेतना सम्मेलन में विधायक रत्नेश सदा, महादलित आयोग के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ सदा, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल, बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एकेपी यादव, सत्येंद्र गौतम, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एस एम राजू  और  पुअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी के पदाधिकारी ने भी अपने-अपने विचार भी दिये.
 
साक्षरता दर के आधार पर तय हो दलितों का वर्गीकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि दलित-महादलित के नाम पर झगड़ा नहीं होना चाहिए. साक्षरता दर के आधार पर दलितों-महादलितों का वर्गीकरण हो. इसके लिए महादलित आयोग एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को दे. इसके बाद राज्य सरकार कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एक है. दलित-महादलित से कुप्रभाव पड़ रहा है. इसे अच्छे उद्देश्य से बनाया गया था कि गरीब को हक मिलेगा. दुसाध हो या पासवान, उन्हें महादलित में शामिल करने की बात है, उस पर साक्षरता के आधार पर निर्णय लिया जायेगा और जो भी सरकारी सुविधाएं हैं, उन्हें दी जायेंगी. मैं बिहार में साक्षरता व शिक्षा के नाम पर विकास करूंगा, दलित-महादलित के नाम पर नहीं. इसके लिए साक्षरता दर की चार कैटेगरी बनायी जा सकती है- 1-10%, 10-30%, 30-40% और 40-50%
 
43 हजार गांवों में बहाल होंगे सफाई मित्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा मित्र और विकास मित्र के तर्ज पर 43 हजार गांवों में ‘सफाई मित्र’ नियुक्त किये जायेंगे. इसमें सिर्फ अनुसूचित जाति के लोगों को नियुक्त किया जायेगा. ये सफाई मित्र सामुदायिक शौचालयों की सफाई करेंगे. उन्हें नियत मानदेय दिया जायेगा. गांवों में और घर-घर में शौचालय बने, यह सरकार की लक्ष्य है. आज खुले में शौच करने से ज्यादातर गरीब ही आक्रांत होते हैं और दवा में ज्यादा पैसे वही खर्च करते हैं.