नई दिल्ली : योग गुरु बाबा रामदेव का नाम पद्म पुरस्कारों की लिस्ट में कभी शामिल ही नहीं किया गया था। गृह मंत्रालय ने कहा है कि रामदेव ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लेटर लिखकर पद्म पुरस्कार लेने से मना कर दिया था जबकि सचाई यह है कि उनके नाम पर कभी विचार ही नहीं किया गया। गृह मंत्रालय ने एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा, 'शॉर्ट लिस्ट किए गए उम्मीदवारों की सूची में रामदेव का नाम नहीं था। यही नहीं किसी भी स्टेज पर उनके नाम पर विचार नहीं किया गया।'
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि राजनाथ सिंह ने पिछले शुक्रवार और शनिवार को करीब 7-8 लोगों को खुद फोन करके उन्हें पद्म पुरस्कार के बारे में जानकारी दी थी। अधिकारी ने कहा, 'रामदेव इस लिस्ट में शामिल नहीं थे।' उन्होंने कहा कि सिंह ने अमिताभ बच्चन, लाल कृष्ण आडवाणी और श्री श्री रविशंकर को फोन उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा, 'श्री श्री रविशंकर ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि उनके बदले किसी और को यह सम्मान देना ज्यादा मुनासिब होगा।'
रामदेव के एक करीबी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर केंद्र ने मीडिया में बाबा को पद्म पुरस्कार दिए जाने की खबरों का खंडन क्यों नहीं किया। नाम नहीं छापने की शर्त पर रामदेव के सहयोगी ने बताया, 'इस बारे में करीब एक महीने पहले से मीडिया में खबरें आ रही थीं। सरकार ने इनका खंडन नहीं किया। इसका मतलब है कि कुछ बात हो रही थी और हमें लग रहा था कि सरकार उन्हें पद्म पुरस्कार देगी।'
हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर रामदेव से कभी संपर्क नहीं किया। पतंजलि योगपीठ के आधिकारिक प्रवक्ता सुरेंद्र तिजारावाला से इस मामले में संपर्क नहीं हो सका है। शनिवार को राजनाथ सिंह को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव का एक लेटर सामने आया, जिसमें उन्होंने लिखा था, 'टीवी चैनल और न्यूजपेपर्स में आ रही खबरों के मुताबिक सरकार मुझे पद्म विभूषण देना चाहती है। मैं इसके लिए तहे दिल से केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं संन्यासी हूं और मेरा यह कर्तव्य है कि मैं राष्ट्र धर्म और सेवा धर्म के साथ संन्यास धर्म का पालन करूं। मैं पूरी विनम्रता के साथ आपसे इस पुरस्कार को किसी और को देने की अपील करता हूं।' हालांकि इस लेटर पर तारीख नहीं है। रामदेव के करीबी ने बताया, 'इस लेटर को शनिवार को गृह मंत्रालय को भेजा गया था।'
हड़बड़ी में बाबा रामदेव खुद बन गए \'मजाक\'
← पिछली खबर
आपके विचार
पाठको की राय