नई दिल्ली| अगस्त में थोक महंगाई कितनी रही, उसके आंकड़े आ गए हैं। उसमें जुलाई के मुकाबले मामूली तौर पर बढ़ोतरी हुई। थोक महंगाई अगस्त में 11.39% रही, जो जुलाई में 11.16% थी। उससे पहले थोक महंगाई लगातार दो महीने घटी थी।
थोक महंगाई का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई बढ़ने से आम आदमी और कंपनियों पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में RBI ब्याज दरें घटाने की जगह बढ़ा सकता है। ऐसा होने पर कंपनियों का ब्याज खर्च बढ़ जाएगा। लिहाजा कंपनी के मुनाफे पर दबाव आएगा।
थोक महंगाई दर क्या होती है?
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। इसकी तुलना में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होता है। CPI आधारित महंगाई की दर को रिटेल इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई दर कहते हैं।