जयपुर में पुलिस ने नीट में नकल करवाने एक मामला पकड़ा है। इसमें गिरफ्तारियां भी हुई हैं। देश और प्रदेश के विभिन्न शहरों में नीट जेईई परीक्षा में लगातार नकल करवाने वाले गिरोह के पकड़े जाने के बाद भी अभी तक जांच एजेंसियों की नजर इस मामले से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण पहलू पर नहीं जा रही है।

सवाल यह है कि पुलिस जिन भी गिरोह को पकड़ रही है उन तक परीक्षा देने वालों की जानकारी कैसे पहुंचती है। असल में ब्रोकर्स के पास नीट जेईई देने वाले छात्रों के फोन नंबर और अन्य जानकारियां पहले ही होती हैं। इस कारण वे छात्रों से संपर्क बना पाते हैं और यही इस फर्जीवाड़े की जड़ होती है।

दूसरी ओर डेटा लीक के मामले पहले से ही सामने आते रहे हैं, लेकिन इस ओर किसी भी जांच एजेंसी ने ध्यान नहीं दिया। एक्सपर्ट के अनुसार मात्र दो ही जगहों से छात्रों का डेटा ब्रोकर्स तक पहुंच सकता है। पहला एनटीए द्वारा और दूसरा संबंधित संस्थान जहां पर छात्र पढ़ाई कर रहा है। हालांकि अभी तक कोई भी जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है कि डेटा लीक कहां से हो रहा है।

वहीं किसी और छात्र का किसी और जगह से पेपर देने का मामला भी नया नहीं है। पूर्व में दक्षिण भारत के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए इस प्रकार का फर्जीवाड़ा किया जाता रहा है। ब्रोकर्स की नजरें उन प्रतिभाशाली छात्रों पर रहती हैं, जो नीट क्रैक करने की काबिलियत रखते हैं। लड़कों के साथ लड़कियों की भी भूिमका इसमें सामने आई है।

ऐसे रैकेट अब पूरे देश में फैल चुके हैं। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसमें सेंटर की मिलीभगत रहती है। वहीं अभी तक एनटीए ने इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

अच्छी खासी रकम वीआईपी ट्रीटमेंट
जो छात्र अन्य छात्रों की जगह परीक्षा देने जाते हैं, उनको अच्छी खासी रकम के साथ ही वीआईपी ट्रीटमेंट भी दिया जाता है। हाल में सामने आए एक मामले में परीक्षा देने वाले छात्र एमबीबीएस और टॉपर थे। ये छात्र कमजोर छात्रों की जगह परीक्षा देने जाते हैं और नीट क्रैक करते हैं। जयपुर, सीकर और कोटा जैसे शहरों से बोकर्स इन छात्रों को चुन लेते हैं।

एनटीए का दखल बहुत जरूरी
एनटीए जेईई मेन के रिजल्ट में देरी कर रहा है, लेकिन इस मामले को लेकर एजेंसी मौन ही है। अब यह मामला किसी प्रदेश का नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का बन चुका है, इस कारण एनटीए की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।