ग्वालियर के ZOO में दुर्लभ सफेद बाघिन मीरा के 4 दिन पहले जन्में नन्हे मेहमानों के शोर ने खुशियां ला दीं। एक शावक अपनी मां की तहर ही दुर्लभ है। वह भी वाइट टाइगर है। अभी लोगों को 40 दिन इंतजार करना पड़ेगा। 40 दिन तक यह कड़ी निगरानी में रहेंगे। इनका शुभ मुहूर्त देखकर नामकरण भी होगा। नन्हें शावकों की मां के साथ अठेलियां करते शावकों का वीडियो सामने आया है।
ग्वालियर के फूलबाग स्थित गांधी प्राणी उद्यान के चिड़ियाघर में (वाइट टाइगर) मादा मीरा ने 31 अगस्त और 1 सितंबर की मध्य रात्रि को 2 शावकों को जन्म दिया है। जन्मे शावकों में से एक का रंग सफेद है तो वही दूसरे शावक का रंग पीला है। मादा मीरा और नर लव के द्वारा दूसरी बार शावकों को जन्म दिया गया है। इससे पहले मीरा ने वर्ष 2018 में तीन शावकों को जन्म दिया था, इनमें एक सफेद और दो पीले रंग के शावक थे।
गांधी प्राणी उद्यान में वर्ष 2010 नई दिल्ली के नेशनल जूलोजिकल पार्क से वाइट टाइगर मादा जमुना ग्वालियर चिड़ियाघर में लाई गई थी। तभी से चिड़ियाघर में संरक्षित बाघों के कुनबे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह मीरा उसी जमुना की बेटी है। वर्तमान में शावकों को जन्म देने वाली मादा मीरा और उसका एक पीला शावक स्वस्थ है, लेकिन दूसरा नवजात शावक अस्वस्थ प्रतीत हो रहा है। इसकी गर्दन जन्मजात असमान्य है। चिड़ियाघर के डॉक्टर देश के वरिष्ठ पशु चिकित्सकों से उपचार करने के लिए उनके मार्गदर्शन ले रहे हैं।
पीला टाइगर शावक ज्यादा चंचल है
नन्हें शावकों को देखने के लिए शहर के लोग काफी संख्या में चिड़िया घर पहुंच रहे हैं। एक शावक के अस्वस्थ होने के मामले में चिड़िया घर प्रभारी व डॉ. गौरव परिहार ने बताया कि अभी सिर्फ 3 दिन हुए हैं, दोनों बच्चों को हम छू भी नहीं सकते। दोनों शावक अच्छी तरह से अपनी मां से दूध पी रहे हैं। दोनों ठीक लग रहे हैं। इनमें पीला शावक टाइगर कुछ ज्यादा चंचल लग रहा है। लगातार अपनी मां के आसपास घूम रहा है। सफेद शावक भी स्वस्थ है, लेकिन गर्दन कुछ असामान्य लग रही है। यह बाद में निरीक्षण के बाद ही समझ में आएगी।
मीरा के भोजन का खास ख्याल
मादा मीरा के भोजन का खास ख्याल रखा गया है। माता मीरा को डाइट के तौर पर हल्का खाना जैसे चिकन सूप, दूध, उबले हुऐ अंडे दिए जा रहे हैं। डॉ. गौरव परिहार का कहना है कि शिशु शावकों के स्वास्थ्य पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। चालीस दिन तक बच्चों को आइसोलेशन में रखा जाएगा। उसके बाद स्वास्थ्य संबंधी केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के समस्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा ।