श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के आसार गुरुवार को  नजर आने लगे, जब राज्यपाल एनएन वोहरा ने उमर अब्दुल्ला द्वारा उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए कहा. इसके बाद राजनीतिक गतिरोध पर केंद्र को रिपोर्ट भेजी. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट में समझा जाता है कि दो या तीन सुझाव दिये हैं.

इनमें निश्चित समय के लिए राज्यपाल शासन लगाने का विकल्प शामिल है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद आये खंडित जनादेश के चलते कोई भी पार्टी सरकार गठन के लिए अभी तक जरूरी संख्या नहीं जुटा पायी है.
 
राज्यपाल ने यह रिपोर्ट तब भेजी है, जब उमर ने बुधवार की रात लंदन से लौटने के बाद दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद से हटने की अपनी मंशा जतायी थी. उमर ने ट्वीट कर कहा, वह अपने बीमार अभिभावकों को देखने के लिए 12 दिन के लिए लंदन गये थे. उमर ने कहा कि उनकी यह धारणा थी कि सरकार एक हफ्ते या 10 दिनों में गठित हो जायेगी. ‘आज हमें लग रहा है कि 10 दिन पहले हम जहां थे, आज हम लक्ष्य से और भी दूर चले गये हैं.’
 
नतीजों में उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस की पराजय के बाद उमर ने 24 दिसंबर को इस्तीफा दे दिया था और उनसे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम देखने को कहा गया था. विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को महज 15 सीटें मिली थीं. 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आयी, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली.
 
पीडीपी निशाने पर
उमर ने  प्रतिद्वंद्वी पीपीडी को निशाने पर लेते हुए कहा कि पार्टी को यह सफाई देनी होगी कि 28 विधायकों और अन्य दो पार्टियों के समर्थन की पेशकश के बाद भी राज्य में केंद्रीय शासन क्यों लग रहा है. नेकां एवं कांग्रेस ने पीडीपी को समर्थन देने की पेशकश की है. खंडित जनादेश के बाद भाजपा सरकार गठन के लिए नेकां एवं पीडीपी दोनों से संपर्क बनाये हुए है, लेकिन गतिरोध समाप्त करने के लिए अभी तक कुछ भी सामने नहीं आ पाया है. नेकां भाजपा के साथ हाथ मिलाने के पक्ष में प्रतीत नहीं हो रही है, जबकि पीडीपी को भगवा पार्टी के साथ हाथ मिलाने के लिए  कार्यकर्ताओं को मनाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
 
दस हजार विस्थापित
उमर ने कहा कि उनकी यह धारणा थी कि सरकार एक हफ्ते या 10 दिनों में गठित हो जायेगी. ‘आज हमें लग रहा है कि 10 दिन पहले हम जहां थे, आज हम लक्ष्य से और भी दूर चले गये हैं.’ उन्होंने कई अन्य ट्वीट में कहा, ‘सीमा की स्थिति को देखते हुए जहां 10 हजार लोग विस्थापित हुए, जाड़े की दुश्वारियां तथा बाढ़ प्रभावितों की राहत के लिए लगातार जरूरतों के मद्देनजर मेरा मानना है कि राज्य के हित पूर्ण कालिक प्रशासक के जरिये ही पूरे किये जा सकेंगे, किसी ऐसे कार्यवाहक के जरिये नहीं जिसके पास शासन का जनादेश नहीं है.’