भोपाल । राजधानी के  ‎जिला अस्पताल जेपी में कर्मचारियों की लापरवाही ठीक होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा लगता है ‎कि कर्मचारियों में प्रशासन की कार्रवाई का भय समाप्त हो गया है इसी‎लिए बार-बार इस तरह की घटनाओं को अंजाम ‎दिया जा रहा है। अबकी बार तो हद ही हो गई यहां अस्‍पताल परिसर में मुख्य प्रवेश द्वार के पास  ही बायोमेडिकल वेस्ट में कोरोना की जांच की स्टिक मिली है। इसके अलावा उपयोग की गई जांच स्टिक को भी साधारण कचरे के डिब्बों में फेंका गया है। बता दें कि इसके पहले भी कोटरा सुल्तानाबाद में एक कबाड़ी के यहां कोरोना जांच की स्टिक मिली थी। साथ ही सैंपल देने वाले कुछ लोगों की सूची भी मिली थी। 15 दिन के भीतर कबाड़ या कचरे में कोरोना जांच स्‍टिक मिलने का यह दूसरा मामला है। हालांकि, सैंपलिंग प्रभारी डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि आरटी-पीसीआर की जांच किट में दो स्टिक रहती हैं, इनमें एक ही स्टिक का उपयोग होता है, इसलिए एक को नष्ट करने के लिए बायोमेडिकल वेस्ट में रख दिया जाता है।उधर, बुधवार को जेपी अस्पताल से दो चिकित्‍सकों का तबादला कर दिया गया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम शुक्ला का तबादला सिविल अस्पताल बैरागढ़ कर दिया गया है। अब अस्पताल में सिर्फ तीन शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि पांच पद हैं। इसी तरह से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रणति विजय कुमार का तबादला भी बैरागढ़ किया गया है। उधर राजधानी में 108 एंबुलेंस के कर्मचारियों ने एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश की है। सूखी सेवनिया के पास पिपलिया बाचखा गांव में एक बुजुर्ग खेत में गंभीर हालत में पड़ा था। सूचना पर 108 एंबुलेंस मौके पर पहुंची। यहां पर खेत तक एंबुलेंस पहुंचने का रास्ता नहीं था। एंबुलेंस के चालक देवेन्द्र और इमरजेंसी टेक्नीशियन धर्मेन्द्र धाकड़ ग्रामीणों की मदद से करीब दो किमी तक मरीज को एंबुलेंस तक लेकर आए। इनके प्रयास से मरीज को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया जा सका।