जयपुर । कोरोना महामारी कि दूसरी लहर में मिले अनुभवों के आधार पर अब राइट टू हेल्थ पर फिर से बहस शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब केंद्र सरकार से राइट टू हेल्थ को संविधान के मूल अधिकारों में शामिल करने का सुझाव दिया है। गहलोत सरकार राजस्थान में भी राइट टू हेल्थ बिल लाने जा रही है। गहलोत ने ट्वीट कर राइट टू हेल्थ की पैरवी करते हुए केंद्र सरकार को यह सुझाव दिया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर लिखा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान का कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में कष्ट ना पाए। भारत सरकार को अब ‘राइट टू हेल्थ’ को संविधान के मूल अधिकारों में शामिल करना चाहिए और सभी नागरिकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करना चाहिए। राजस्थान सरकार ने ‘राइट टू हेल्थ’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए पहले चिकित्सा क्षेत्र में बड़े बदलाव किए। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से पूरे प्रदेश में ओपीडी और आईपीडी का पूरा इलाज मुफ्त किया। राजस्थान में यूनिर्वसल हेल्थ कवरेज के तहत मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना लागू हो चुकी है। इसे राइट टू हेल्थ की दिशा में ही कदम माना जा रहा है। सरकार राइट टू हेल्थ बिल लाने की तैयारी में है। राइट टू हेल्थ बिल का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। कानून बनने के बाद हर नागरिक का इलाज करना और उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सरकार कानूनी तौर पर बाध्य होगी। राइट टू हेल्थ बिल लाने वाला राजस्थान पहला राज्य होगा।
केन्द्र सरकार राइट टू हेल्थ को संविधान के मूल अधिकार की मान्यता दें
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