चेन्नई। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत एक और छलांग लगाने के लिए तैयार है। भारत की नवीनतम पीढ़ी के रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 के पहले प्रायोगिक प्रक्षेपण के लिए 24 घंटे 30 मिनट लंबी उलटी गिनती शुरू हो गई है। भारत के इस सबसे वजनी रॉकेट के साथ ही मनुष्य को अंतरिक्ष में ले जाने वाले यान का भी प्रायोगिक परीक्षण किया जाएगा।
इसरो ने कहा, 'अभियान की उलटी गिनती 17 दिसंबर की सुबह नौ बजे से शुरू हो गई। रॉकेट का प्रक्षेपण चेन्नई के निकट श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार को सुबह 9.30 बजे किया जाएगा। इसके साथ अंतरिक्ष में मानव को ले जाने में सक्षम यान का परीक्षण किया जाएगा। 126 किमी की ऊंचाई पर पहुंचते ही यान रॉकेट से अलग होकर बंगाल की खाड़ी में लैंड करेगा, जहां इसे बाहर निकालने के लिए भारतीय नौसेना के जहाज तैनात रहेंगे।
रॉकेट से अलग होकर गिरते समय इसकी गति को कुछ दूरी तक उसमें लगी मोटरों के जरिए और फिर तीन पैराशूट के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। फिलहाल रूस, अमेरिका और चीन के पास इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की काबिलियत है। अगर इसरो का यह परीक्षण कामयाब होता है तो भारत भी इन देशों की लीग में शामिल हो जाएगा।