भोपाल । मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने बीते दिनों हुई जू‎नियर डॉक्टरों की हडताल  को अनुशासनहीनता मानते हुए डॉक्टरों को नो‎टिस थमा ‎दिया है। इसके ‎‎विरोध में  जू‎नियर डॉक्टरों ने कहा है ‎कि  सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं करने का भरोसा दिया था। बीते जून महीने में हुई हडताल में शा‎मिल होने को लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के तीन पदाधिकारियों को नोटिस भेजकर कहा है कि हड़ताल में शामिल होने की वजह से मेडिकल काउंसिल में उनका पीजी का पंजीयन फिलहाल रोक दिया गया है। इस संबंध में नेशनल मेडिकल कमीशन से राय मांगी गई है। राय आने तक इन छात्रों का पीजी पूरी होने के बाद मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पीजी डिग्री का पंजीयन नहीं हो पाएगा। गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के जिन तीन जूनियर डॉक्टरों को नोटिस दिया गया है, वे फिलहाल पीजी द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रहे हैं। इनका पंजीयन अगले साल अप्रैल के बाद होगा। हालांकि नेशनल मेडिकल कमीशन की राय एक से दो महीने के भीतर ही आ जाएगी। स्टेट जूडा प्रेसिडेंट डॉक्टर अरविंद मीणा ने कहा कि हाईकोर्ट ने भी यह कहा था कि आंदोलनकारी छात्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी आश्वासन दिया था की आंदोलन समाप्त करने पर आंदोलनकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। ऐसे में भरोसा दिलाने के बाद कार्रवाई के लिए इस तरह का पत्र देना गलत है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगे गलत थीं, तो फिर सरकार ने उन्हें कैसे मान लिया। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने लिखा है कि आंदोलनकारियों ने इस संबंध में कोई माफीनामा भी नहीं दिया है। यह अनुशासनहीनता है। लिहाजा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह बने नेशनल मेडिकल कमीशन से राय लेने के बाद ही उनकी पीजी डिग्री का पंजीयन किया जाएगा। मालूम हो ‎कि मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने जून में आंदोलन किया था। हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई कर हड़ताल को अवैध बताते हुए फौरन जूनियर डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कहा था। इसके बाद भी डॉक्टर फौरन काम पर नहीं लौटे थे। इससे मंत्री और अफसर भी नाराज थे।