जोधपुर। पड़ोसी देश पाकिस्तान के रास्ते से राजस्थान में आने वाला टिड्डी दल इस बार हमला नहीं कर पाएगा। ईरान की ओर चलने वाली हवाओं ने अपना रुख बदल लिया है। केंद्र सरकार की ओर से इसको लेकर गुजरात और राजस्थान में कराये गये सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी मिली है। केंद्र सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग की ओर से पिछले दिनों टिड्डी हमले की आशंका को लेकर सर्वे किया गया था। सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि ईरान से चलने वाली हवाओं ने अपना रुख बदल लिया है। लिहाजा इस साल टिड्डी दल पड़ोसी देश पाकिस्तान नहीं पहुंचेंगे और भारत में भी इस बार टिड्डी हमले का कोई खतरा नहीं है। सर्वे में यह भी पता चला है कि राजस्थान में एक भी टिड्डी का अवशेष नहीं मिला है और ना ही कोई टिड्डी जिंदा मिली है। इससे अब उनके अंडे देकर आगे बढ़ने का भी कोई खतरा नहीं है।
भारत सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर के सहायक निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि गुजरात के पालनपुर व भुज और राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर में सर्वे किया जा चुका है। अब पाकिस्तान से सटे बॉर्डर एरिया में सर्वे किया जाना बाकी है। इसके लिए पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बॉर्डर मीटिंग होनी है। संभवत अगले महीने तक इसका भी सर्वे कर लिया जाएगा। सरकारी आकड़ों के मुताबिक 2020 में हुए टिड्डी हमले में 2 लाख 88 हजार 736 हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलें बर्बाद हो गईं थी।
बता दें कि पिछले दो साल से ईरान और अफगान से पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान में आने वाली टिड्डियों ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर रही थी। लाखों हेक्टेयर में फसलों को टिड्डियों के दल मात्र कुछ घंटों में ही साफ कर देते थे। हालांकि, केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार टिड्डियों के दल के खात्मे के लिये लगातार प्रयास करती रही, लेकिन फिर भी करोड़ों रुपये की फसलों को बर्बाद होने से नहीं बचाया जा सका था। खासकर पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, जोधपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर ऐसे जिले थे जहां पर टिड्डियों का प्रकोप सबसे ज्यादा था। पिछले साल देश में हुए टिड्डी हमले में 2 लाख 88 हजार 736 हेक्टेयर खेती की जमीन पर टिड्डियों ने हमला किया था। राजस्थान और गुजरात के साथ-साथ मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश तक टिड्डियों ने किसानों की फसलें खराब की थी।
राजस्थान में इस बार टिड्डी नहीं कर पाएंगी फसलों पर हमला, ईरान की ओर चल रही हवायें
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